दमोह।पिछले महीने दमोह विधानसभा में उपचुनाव हुए थे. जिसमें कई कर्मचारियों को चुनाव ड्यूटी पर तैनात किया गया था. कोरोना संक्रमण के चलते कई कर्मचारियों ने दम तोड़ दिया. जिसके बाद अब उन कर्मचारियों के आश्रितों को अनुकंपा नियुक्ति और अनुग्रह राशि दिए जाने की मांग उठने लगी है. ड्यूटी पर तैनात करीब 30 शिक्षकों की भी कोरोना से मौत हो गई थी. जिसको लेकर शिक्षक संघ ने प्रशासन एवं निर्वाचन आयुक्त को ज्ञापन देकर अनुकंपा नियुक्ति और अनुग्रह राशि देने की मांग की है. वहीं प्रशासन ने पूरे मामले की जांच करने के बाद ही कार्रवाई करने का आश्वासन भी दिया है.
आपको बता दें, विधानसभा उपचुनाव में करीब 1000 शिक्षकों की ड्यूटी विभिन्न कार्यों में लगाई गई थी. अध्यापक संघ का दावा है कि करीब 28 से 30 कर्मचारियों की मृत्यु चुनाव ड्यूटी में कोरोना की चपेट में आने के कारण हुई. हालांकि जिला प्रशासन एवं निर्वाचन शाखा ने अब तक केवल 12 शिक्षकों एवं एक अन्य कर्मचारी की मौत ड्यूटी के दौरान कोरोना संक्रमण से होने पर मुहर लगाई है. अध्यापक संघ ने अनुकंपा नियुक्ति दिए जाने की मांग को लेकर एक ज्ञापन दमोह कलेक्टर को भी सौंपा है.
मौत के आंकड़े को लेकर उलझन
दरअसल, शिक्षा विभाग ने संयुक्त संचालक लोक शिक्षण सागर को 17 तारीख को भेजे अपने एक शासकीय पत्र में जिले भर के 57 कर्मचारियों की विभिन्न कारणों से मौत का हवाला देकर उनकी एक्स ग्रेशिया की राशि के भुगतान के संबंध में जानकारी प्रेषित की है. इन 57 कर्मचारियों में से 42 कर्मचारी ऐसे हैं जिनकी मौत कोरोना संक्रमण से होना दर्शाया गया है. हालांकि शिक्षा विभाग का कहना है कि चुनाव के दौरान केवल 12 कर्मचारियों की मृत्यु कोरोना से हुई है. इसके इतर अध्यापक संगठन ने 28 से 30 कर्मचारियों की मौत का दावा किया है. हालांकि शिक्षा विभाग का यही कहना है कि लगातार आवेदन प्राप्त हो रहे हैं और उन आवेदनों की जांच की जा रही है. 6 आवेदन अभी पेंडिंग हैं, जिनकी जांच की जा रही है.
चुनाव न होता तो पापा बच जाते
कोरोना महामारी में कई लोगों ने अपनों को खोया है. ड्यूटी पर तैनात एक ऐसे ही कार्मचारी की कोरोना से मौत हो गई. जिसके बाद उनके बेटे प्रशांत तिवारी ने कहा, 'पिता राम मनोहर तिवारी बजरिया स्कूल हटा में पदस्थ थे. लेकिन चुनाव में उनकी ड्यूटी लगा दी गई. जब वह प्रशिक्षण में गए तो कोरोना संक्रमित हो गए. उन्हें उपचार के लिए पहले जिला अस्पताल और उसके बाद बीएमसी सागर में भर्ती कराया गया. इस दौरान उनकी मौत हो गई. यदि चुनाव नहीं होता तो मेरे पिता की जान नहीं जाती. अब मैंने निर्वाचन आयुक्त और शासन से मांग की है कि अनुकंपा नियुक्ति तथा प्रावधान के तहत अनुग्रह राशि दी जाए.'