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कृषि कानूनों के विरोध में युवा कांग्रेस ने निकाली मशाल रैली - Union Agriculture Minister Narendra Singh Tomar

मध्य प्रदेश कांग्रेस ने प्रदेश के प्रत्येक जिले में कृषि कानूनों का विरोध करते हुए प्रदर्शन किया है, इसी के तहत छिंदवाड़ा में युवा कांग्रेस ने मशाल जुलूस निकाला और अपना विरोध दर्ज कराया है.

protest against agricultural laws in chhindwara
कृषि कानूनों का विरोध

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Published : Dec 31, 2020, 12:54 AM IST

छिंदवाड़ा। मोदी सरकार द्वारा लाए गए कृषि कानूनों के विरोध में युवा कांग्रेस ने फव्वारा चौक से शहीद अमित ठेंगे चौक तक मशाल जुलूस निकालकर नारेबाजी करते हुए विरोध जताया. मध्य प्रदेश में कांग्रेस ने प्रत्येक जिले में कृषि कानूनों के विरोध में प्रदर्शन किया है, इसी के तहत छिंदवाड़ा में भी युवा कांग्रेस ने मशाल जुलूस निकालकर अपना विरोध दर्ज कराया है.

कृषि कानूनों के विरोध में युवा कांग्रेस ने निकाली मशाल रैली
कृषि कानूनों के विरोध में बड़े आंदोलन की चेतावनी

मशाल जुलूस में शामिल होने पहुंचे कांग्रेस जिला अध्यक्ष गंगा प्रसाद तिवारी ने कहा कि कड़कड़ाती ठंड के बीच किसान दिल्ली की सड़कों में महीने भर से डटा हुआ है, लेकिन मोदी सरकार के कानों में जूं तक नहीं रेंग रही है, जिसके चलते कांग्रेस ने मशाल जुलूस निकालकर मोदी सरकार का विरोध किया है. अगर मोदी सरकार जल्द ही किसानों की बात नहीं सुनती है तो कांग्रेस जिले में किसानों के हक में बड़ा आंदोलन करेगी.

विधानसभा स्तर पर निकाली गई मशाल रैली

युवा कांग्रेस ने छिंदवाड़ा जिले की सातों विधानसभा स्तर पर मशाल रैली निकालकर कृषि कानूनों का विरोध किया इस मौके पर हर विधानसभा में कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने हिस्सा लिया.

सरकार और किसानों के बीच दिल्ली में हुई चर्चा

  • केंद्रीय कृषि मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर ने बुधवार को किसानों से हुई बातचीत के बाद कहा कि सरकार और किसान संगठनों के बीच हुई छठे दौर की वार्ता में बिजली संशोधन विधेयक 2020 और एनसीआर एवं इससे सटे इलाकों में वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग के संबंध में जारी अध्यादेश संबंधी आशंकाओं को दूर करने को लेकर सहमति बन गई.
  • तोमर ने किसान संगठनों से वार्ता के बाद यह दावा किया. हालांकि उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि तीन कृषि कानूनों को निरस्त करने की किसान संगठनों की मांग एवं न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की कानूनी गारंटी देने का मुद्दे पर कोई सहमति नहीं बन सकी. उन्होंने कहा कि इन मुद्दों पर चार जनवरी को फिर चर्चा होगी.
  • उन्होंने कहा, 'आज की बैठक में किसान यूनियन के नेताओं ने जो चार विषय चर्चा के लिए रखे थे, उनमें दो विषयों पर आपसी रजामंदी सरकार और यूनियन के बीच में हो गई है. पहला पराली जलाने से संबंधित कानून है. इस मुद्दे पर दोनों पक्षों में रजामंदी हो गई है.'
  • उन्होंने कहा कि बिजली संशोधन विधेयक, जो अभी अस्तित्व में नहीं आया है, को लेकर किसानों को आशंका है कि इससे उन्हें नुकसान होगा.
  • उन्होंने कहा, 'इस मांग पर भी दोनों पक्षों के बीच सहमति हो गई है. यानी 50 प्रतिशत मुद्दों पर सहमति हो गई है.'
  • उन्होंने कहा, 'वार्ता बहुत ही सुखद वातावरण में संपन्न हुई. इससे दोनों पक्ष में अच्छे प्रकार के माहौल का निर्माण हुआ.'
  • तोमर ने तीनों कानूनों को रद्द करने की किसान संगठनों की मांग पर कहा कि जहां-जहां किसानों को कठिनाई है वहां सरकार 'खुले मन' से चर्चा को तैयार है.
  • उन्होंने बताया कि न्यूनतम समर्थन मूल्य को कानूनी दर्जा दिए जाने की किसान संगठनों की मांग पर कोई सहमति नहीं हो सकी.
  • उन्होंने कहा, 'कानून और एमएसपी के विषय में चर्चा अभी पूर्ण नहीं हुई है. चर्चा जारी है. हम चार जनवरी को दो बजे फिर से मिलेंगे और इन विषयों पर चर्चा को आगे बढ़ाएंगे.'
  • केंद्र ने सोमवार को आंदोलन कर रहे 40 किसान संगठनों को सभी प्रासंगिक मुद्दों का 'तार्किक हल' खोजने के लिए आज अगले दौर की बातचीत के लिए आमंत्रित किया था.
  • सरकार और किसान संगठनों में पिछले दौर की वार्ता पांच दिसंबर को हुई थी. छठे दौर की वार्ता नौ दिसंबर को होनी थी, लेकिन इससे पहले गृह मंत्री शाह और किसान संगठनों के कुछ नेताओं के बीच अनौपचारिक बैठक में कोई सफलता न मिलने पर इसे रद्द कर दिया गया था.
  • पंजाब, हरियाणा और देश के कुछ अन्य हिस्सों से आए हजारों किसान दिल्ली के निकट सिंघू बॉर्डर, टीकरी बॉर्डर और गाजीपुर बॉर्डर पर पिछले लगभग एक माह से प्रदर्शन कर रहे हैं. उनकी मांग है कि तीनों कृषि कानूनों को निरस्त किया जाए और न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की कानूनी गारंटी दी जाए.

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