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सोयाबीन की फसल पर 'पीले मोजेक' का कहर, किसानों की मेहनत पर फिरा पानी - Chhindwara Corn City

सोयाबीन की खेती करने वाले किसानों की मेहनत पर 'पीले मोजेक' ने पानी फेर दिया. ये एक ऐसा रोग है, जिससे फसल की पत्तियां पीली पड़ जाती है और वृद्धि रुक जाती है. ETV भारत ने पीले मोजेक की रोकथाम के संबंध में कृषि वैज्ञानिक विजय कुमार पराड़कर से बात की, उन्होंने किसानों को इस रोग से फसल को बचाने के उपाय बताए.

Yellow mosaic disease in soybean
सोयाबीन में पीला मोजेक रोग

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Published : Aug 27, 2020, 4:17 PM IST

छिंदवाड़ा।कॉर्न सिटी के नाम से जाना जाने वाला छिंदवाड़ा हमेशा से अपने मक्के के लिए प्रदेश में मशहूर है, यहां मक्के की फसल अधिक मात्रा में लगाई जाती है, लेकिन मक्के में बढ़ रहे घाटे के कारण किसानों ने सोयाबीन का रुख किया, जिससे मोटा मुनाफा कमा सके, लेकिन अब सोयोबीन मे लग रहे कीट किसान को परेशान करने लगे हैं. सोयाबीन की फसल पर पीले मोजेक कीट का असर दिखाई देने लगा है, जिससे किसान की चिंता बढ़ने लगी है.

पीला मोजेक क्या है ?
पीला मोजेक रोग के शुरुआती लक्षण में विषाणु जनित रोग है, जो रस चूसक कीट एवं सफेद मक्खी के द्वारा फैलता है. प्रारंभिक अवस्था में पौधे की पत्तियों पर गहरे पीले रंग के धब्बे दिखाई देते हैं. इस रोग से ग्रसित पौधा छोटा रह जाता है और उनके दाने भी भर नहीं पाते.

सोयाबीन पीला मोजेक रोग का आक्रमण

क्या है इसके लक्षण ?
रोग ग्रस्त पौधों की पत्तियों की नसें साफ दिखाई देने लगती हैं, उनके नरम पन कम होना, बदशक्ल होना, ऐठ जाना, सिकुड़न समेत अन्य लक्षण साफ दिखाई देते हैं. जिसमें पौधों की पत्तियां खुरदुरी हो जाती हैं, कुछ पौधों की पत्तियों पर चितकबरे गहरे हरे-पीले धब्बे दिखाई देने लगते हैं. पत्तियों में छेद नजर आने लगते हैं, 2 से 3 दिन बाद पूरा पौधा पीला हो जाता है.

सोयाबीन पीला मोजेक रोग का आक्रमण

क्या है उपाय ?
वैज्ञानिक किसानों को सलाह देते हैं कि, यलो मोजेक रोग से ग्रसित पौधे को शुरुआत में ही उखाड़ कर अलग कर देना चाहिए, जिससे वहां दूसरे पौधों में संक्रमण ना फैले. प्रारंभिक अवस्था में पौधे में नीम तेल का छिड़काव 1.15 लीटर प्रति एकड़ चिपकने वाला पदार्थ मिलाकर करना चाहिए. किसान मार्केट में मिलने वाले कीटनाशक का उपयोग भी कर सकते हैं, लेकिन प्रारंभिक अवस्था में पौधे उखाड़ देना ही ज्यादा फायेमंद है.

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