छिंदवाड़ा में सरेआम काटे जा रहे सागौन के पेड़, अधिकारियों ने साधी चुप्पी
मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान दिन की शुरुआत एक पौधा लगाकर करते हैं, ताकि प्रदेश की जनता को पर्यावरण बचाने के लिए जागरूक किया जा सके. लेकिन उनके ही सरकारी महकमे के अधिकारी कर्मचारियों की नाक के नीचे खुलेआम जंगलो को काटा जा रहा है. वन विभाग के अधिकारी आंखे बंद कर नजारा देख रहे हैं.
छिंदवाड़ा:सिल्लेवानी परिक्षेत्र के खदवेली के जंगलों में सागौन के पेड़ सरेआम काटे जा रहे हैं. पेड़ काटने के बाद ठूंठ को जलाकर सबूत भी नष्ट किया जा रहा है. इस मामले में जब ईटीवी ईटीवी भारत में ग्राउंड जीरो पर जाकर देखा तो हम बकायदा योजनाबद्ध तरीके से पहले बड़े-बड़े सागौन के पेड़ों के तनो में आग लगाकर उसे सुखाया जा रहा है. बाद में उसे काटकर तस्करी की जा रही है. इस मामले में वन विभाग के अधिकारियों का कहना है कि "जंगल राजस्व की सीमा में आता है, जबकि जंगल की सीमा का निर्धारण करने वाले मोना रे बकायदा यहां पर बने हुए हैं. ग्रामीणों ने उस जमीन को अपने कब्जे में लेने की मांग की थी, जिसके लिए आवेदन भी दिया गया है. हालांकि इस पर अभी निर्णय नहीं हुआ है.
सड़क के किनारे से जंगल को किया जा रहा नष्ट:जंगल को बचाने का जिम्मा वन विभाग के अधिकारियों के साथ ही प्रशासनिक अधिकारियों का भी है. वन विभाग की नजरों के सामने जंगल की खुलेआम कटाई हो रही है, लेकिन राजस्व की जमीन का हवाला देकर वन विभाग के अधिकारी कर्मचारी कोई कार्यवाही नहीं कर रहे हैं और ना ही राजस्व का अमला इस ओर ध्यान दे रहा है. भले ही जंगल किसी की सीमा में हो खुद की निजी जमीन में भी अगर पेड़ काटने होते हैं तो इसके लिए वन विभाग से परमिशन लेनी होती है, लेकिन यहां पर कोई भी विभाग कटते जंगल देखने के बाद भी कार्रवाई नहीं कर रहा है.
करीब 28 से 30 हेक्टेयर की जंगलों की रही कटाई:ग्रामीण सीमा से लगे करीब 28 से 30 हेक्टेयर जंगलों की कटाई पर की जा रही है. इस मामले में ग्रामीणों का कहना है कि यह राजस्व विभाग की जमीन है और हमारे गांव की सीमा में है, इसलिए जंगल काट कर उस जमीन को उपजाऊ बनाकर फसलों की खेती करना चाह रहे हैं. इसके लिए उन्होंने तहसीलदार से लेकर कलेक्टर कार्यालय तक में आवेदन दिया है.
बेशकीमती सागौन की लकड़ी का नहीं है पता:खुलेआम जंगल से सागौन के बड़े बड़े पेड़ का काटे जा रहे हैं, लेकिन यहां की लकड़ी कहां जा रही है. इसकी जानकारी किसी को नहीं है. ग्रामीणों का कहना है कि वह पेड़ काटकर लकड़ी वहीं फेंक दे रहे हैं क्योंकि जब अगर वे लकड़ी ले जाएंगे तो वन विभाग कार्रवाई कर सकता है, लेकिन जंगलों में कटे हुए ठूंठ तो नजर आते हैं. परंतु लकड़ी नजर नहीं आ रही है.