छिंदवाड़ा। बच्चों की जरूरतें पूरी ना हो तो जरा सी लापरवाही में, वे जानलेवा कदम उठा लेते हैं. ऐसा ही एक मामला छिंदवाड़ा में सामने आया है जहां 14 साल के एक नाबालिग ने एंड्रॉयड मोबाइल की मांग पूरी नहीं होने पर फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली. आखिर बच्चों की मनोदशा को कैसे मां-बाप जान सकते हैं और कैसे बच्चों को इस अवसाद से निकाल सकते हैं. इन बातों के लिए ETV BHARAT में मनोचिकित्सक डॉक्टर तुषार ताल्हन से बातचीत की.
बच्चों में ना सुनने की आदत भी डालें पेरेंट्स
छिंदवाड़ा इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज में प्रोफेसर मनोचिकित्सक डॉक्टर तुषार ताल्हन ने ETV BHARAT से खास बातचीत में बताया कि अधिकतर मां-बाप, आजकल बच्चों की हर जिद पूरा करते हैं. इसी समय से बच्चों को लगता है कि हम जो भी मांगेंगे जरूरत पूरी हो जाएगी लेकिन इसके बड़े साइड इफेक्ट भी है. बच्चा पहले छोटी जिद करता है फिर बाद में बड़ी जिद करता है जिसे कई बार मां-बाप पूरा नहीं कर पाते और आप जब उन्हें इस बारे में मना करते हैं तो भी गलत कदम उठाते हैं. इसलिए बच्चों की हर जिद पूरी ना करें और उन्हें इस बारे में जरूर बताएं कि उसके लिए क्या जरूरी है और वे उनकी जिद क्यों पूरा नहीं करना चाहते. इससे बच्चों में ना सुनने की आदत लगेगी.