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'सरकारी' सहारा: प्राइवेट स्कूलों पर संकट, सरकारी की ओर रुख

कोरोना महामारी के चलते एक साल से स्कूलों में तालाबंदी है. सरकारी स्कूलों में मोहल्ला क्लास के जरिए बच्चों को पढ़ाना शुरू किया गया है.निजी स्कूल पूरी तरह बंद हैं. जिसके चलते छिंदवाड़ा जिले में कई स्कूल बंद होने की कगार पर हैं.

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Published : Mar 30, 2021, 10:35 AM IST

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'सरकारी' सहारा

छिंदवाड़ा। कोरोना महामारी के चलते एक साल से स्कूलों में लगभग बंद हैं जबकि सरकारी स्कूलों में मोहल्ला क्लास के जरिए बच्चों को पढ़ाना शुरू किया गया है. लेकिन निजी स्कूल पूरी तरह बंद है जिसके चलते छिंदवाड़ा जिले में कई स्कूल बंद होने की कगार पर हैं.

  • छिंदवाड़ा जिले में 646 निजी और 3438 सरकारी स्कूल

छिंदवाड़ा जिले में मध्यप्रदेश बोर्ड के 646 निजी और 3438 सरकारी हैं. जिनमें से पहली से आठवीं तक के निजी स्कूल पूरी तरीके से बंद है. जिसके चलते कई स्कूल बंद होने की कगार पर है. छिंदवाड़ा के सारना मेघासिवनी और अमरवाड़ा के तीन स्कूल आर्थिक तंगी के चलते बंद हो चुके हैं.

कोरोना काल में बंद हो रहे प्राइवेट स्कूल
  • स्कूल बिल्डिंग का किराया और स्टाफ को पेमेंट देना हुआ मुश्किल

अधिकतर निजी स्कूल किराए की बिल्डिंग पर संचालित होते हैं और स्कूल में पदस्थ स्टाफ को सैलरी देना भी उनके लिए किसी चुनौती से कम नहीं है इसलिए स्कूलों ने 1 साल तक तो किसी तरह काम चलाया लेकिन अब किराया देना और स्टाफ की सैलरी देना उनके लिए मुश्किल साबित हो रही है. निजी स्कूल संचालकों का कहना है कि यही स्थिति रही तो आधे से ज्यादा है स्कूल बंद हो जाएंगे.

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  • निजी स्कूलों से टीसी निकालकर सरकारी स्कूल में जा रहे बच्चे

निजी स्कूल संचालकों का कहना है कि सरकार स्कूल खोलने की अनुमति नहीं दे रही है और सरकारी स्कूलों में मोहल्ला क्लासों के जरिए पढ़ाई कराई जा रही है. जिसके चलते अभिभावकों का कहना है कि कोरोना काल में पढ़ाई नहीं कराई जा रही तो फीस क्यों दें इसलिए अब ज्यादातर बच्चे सरकारी स्कूलों का रुख कर रहे हैं. जिसके चलते साफ दिखाई देता है कि सरकार निजी स्कूलों के साथ सौतेला व्यवहार कर रही है.

  • स्कूलों में पढ़ाने वाले शिक्षकों पर बेरोजगारी का संकट

निजी स्कूलों में नौकरी करने वाले शिक्षकों के सामने भी अब रोजगार का संकट पैदा होने लगा है. उनका कहना है कि अगर सरकार स्कूल खोलने की अनुमति नहीं देगी तो धीरे-धीरे स्कूल बंद होंगे और कई स्कूल स्टाफ में भी कमी करेंगे. जिसके चलते उनके सामने रोजगार का संकट भी पैदा होगा.

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