छिंदवाड़ा। कोरोना संक्रमण के कारण लगे लॉकडाउन के बाद प्रदेश में धीरे-धीरे स्कूल खुलने लगे हैं. ऐसे में कई अभिभावक हैं जो अपने बच्चों को स्कूल नहीं भेजना चाहते. उनका कहना है कि जब तक कोरोना की किसी प्रकार की वैक्सीन नहीं आ जाती, तक तक वह अपने बच्चों को स्कूल भेजने का रिस्क नहीं लेंगे. हालांकि मध्यप्रदेश में 21 सितंबर से स्कूल खुले हैं, जबकि कुछ राज्यों ने अभी स्कूल खोलने से मना कर दिया है.
बच्चों को स्कूल नहीं भेजना चाहते अभिभावक अभिभावकों का कहना है कि वह अपने बच्चों को स्कूल भेजने की रिस्क नहीं ले सकते, उनका कहना है कि उनके लिए बच्चे के एजुकेशन से अधिक जरूरी है उनकी जिंदगी. हालांकि 21 सितंबर से स्कूल खुल गए हैं, जिसमें केंद्र सरकार द्वारा दिए गए SOP का सभी स्कूलों का पालन करना पड़ रहा है, जिसके अंतर्गत सुबह प्रार्थना और खेलकूद सभी गतिविधियां बंद है.
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स्कूल शिक्षा विभाग ने जारी की है ये गाइडलाइन
- छात्रों के बीच 6 फीट की दूरी रखी जाए
- सभी लोग मास्क लगाएं
- बच्चों को 40 से 60 सेकेंड तक कई बार हाथ धुलाएं
- हाथ धुलने के लिए साबुन न हो तो सैनिटाइजर का उपयोग किया जाए
- स्कूल से छुट्टी के वक्त एक साथ बच्चों को एकत्रित नहीं किया जाए
- यदि कोई शिक्षक या छात्र बीमार है, तो वह स्कूल नहीं आए
अरविंद कुमार चौरगड़े, जिला शिक्षा अधिकारी
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हालांकि इस गाइडलाइन के बाद भी अभिभावकों का कहना है कि जब नेता, अभिनेता और बड़े-बड़े लोग इतनी सुरक्षा रखने के बाद भी कोरोना वायरस से संक्रमित हो रहे हैं तो, बच्चों में इसका खतरा और ज्यादा है. एहतियातन वह अपने बच्चों को स्कूल नहीं भेजेंगे हालांकि ऑनलाइन पढ़ाई जारी रखेंगे.