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सपनों के आशियानों पर पानी फेर रहा नगर-निगम - Municipal corporation

छिंदवाड़ा में नगर निगम के आवासों में मिलावट के खेल का आरोप लग रहा है. हांलाकि ये मामला भी नियम कायदों के मकड़जाल में उलझता जा रहा है. देखिए ये रिपोर्ट...

Municipal corporation is not using good building material for making home
सपनों के आशियानों पर पानी फेर रहा नगर निगम

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Published : Jan 22, 2021, 12:50 PM IST

छिंदवाड़ा। नगर निगम के भरोसे सपनों का आशियाना बनवा रहे हितग्राहियों की उम्मीदों पर पानी फिरता नजर आ रहा है. गौरतलब है कि मकानों के निर्माण में रेत का उपयोग किया जाता है, लेकिन नगर निगम हाउसिंग प्रोजेक्ट के तहत ठेकेदार खुलेआम गिट्टी क्रशर से निकलने वाले डस्ट का उपयोग कर रहे हैं.

  • ठेकेदार मस्त, जनता पस्त

दरअसल, छिंदवाड़ा जिले में नदियों में रेत का अकूत भंडार है. यहां लगातार अवैध खनन के मामले भी सामने आते हैं. इसके बावजूद भी नगर निगम द्वारा चलाए जा रहे हाउसिंग प्रोजेक्ट में रेत की जगह धड़ल्ले से गिट्टी क्रशर से निकलने वाले डस्ट का उपयोग किया जा रहा है. इस मामले को लेकर हितग्राहियों ने नगर निगम में शिकायत भी की है. हितग्राहियों का कहना है कि निर्माण में गुणवत्ता को ताक पर रखा जा रहा है. लेकिन नगर निगम ने अभी तक कोई उचित सुनवाई नहीं की है. जिसके चलते ठेकेदार मनमानी पर उतारू हैं.

  • आवासों के निर्माण में गुणवत्ता पर सवाल

छिंदवाड़ा नगर निगम अपनी आय बढ़ाने के लिए इमलीखेड़ा, खजरी, सोनपुर और परतला में चार हाउसिंग प्रोजेक्ट के तहत सैंकड़ों मकानों का निर्माण करवा रही है. प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत बन रहे प्रोजेक्ट में लोगों ने मकान तो खरीद लिए हैं, लेकिन उनकी उम्मीदों पर ठेकेदार पानी फेरते नजर आ रहे हैं. इससे पहले भी पीएम आवास योजना को गंभीरता से लेने के हालात नहीं दिखे. अब इन आवासों के निर्माण में जिस तरह की अनियमितता आ रही है उससे भविष्य में ये मकान कितने टिकाउ होंगे इस पर सवालिया निशान हैं.

  • नगर निगम कमिश्नर का आदेश और दलील

इस मामले में जब ईटीवी भारत ने जब जिम्मेदारों से बात की तो उन्होंने कहा कि ठेकेदार को डस्ट के उपयोग को रोकने के लिए सख्त हिदायत दी गई है. हालांकि, ठेकेदार का कहना है कि प्रोजेक्ट में मिक्स डिजाइन का काम करने के लिए उन्हें अप्रूवल है. इसलिए वे रेत के साथ डस्ट मिक्स कर उपयोग कर रहे हैं. लेकिन नगर निगम कमिश्नर के आदेश के बाद भी ठेकेदार रेत की जगह डस्ट का उपयोग कर रहे हैं. इससे समझा जा सकता है कि ठेकेदार के हौसले अधिकारियों के आदेश के आगे कितने बुलंद है.

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