छिंदवाड़ा।अनुसूचित जनजाति वर्ग के लिए आरक्षित जुन्नारदेव सीट पर फिलहाल कांग्रेस का कब्जा है. 2008 के परिसीमन के दौरान दमुआ विधानसभा का विलय भी जुन्नारदेव विधानसभा में कर दिया गया था. राजनीतिक परिदृश्य की बात की जाए तो अधिकतर यहां पर कांग्रेस का दबदबा रहा है. जुन्नारदेव विधानसभा क्षेत्र में अनुसूचित जनजाति वर्ग के करीब 70 फीसदी मतदाता हैं. कांग्रेस और बीजेपी अनुसूचित जनजाति हो, आदिवासी हो या दलित हर वर्ग को साधने की कोशिश कर रही है. आइए जानते हैं कि जुन्नारदेव सीट का मिजाज कैसा है.
आदिवासियों ने अधिकतर कांग्रेस पर जताया भरोसा: जुन्नारदेव विधानसभा क्षेत्र में अगर राजनीतिक समीकरणों की बात की जाए तो यहां के आदिवासियों को अधिकतर कांग्रेस ही पसंद आई है. 2008 के विधानसभा चुनाव के दौरान चुनाव आयोग के द्वारा किए गए परिसीमन में यहां से लगी विधानसभा दमुआ का विलय इसी में कर दिया गया. 2008 के चुनावों में कांग्रेस ने इलाके के कद्दावर आदिवासी नेता और दिग्विजय सिंह सरकार में मंत्री रहे तेजीलाल सरेआम को मैदान में उतारा, तो वही बीजेपी ने मजदूर नेता आरएसएस के कार्यकर्ता को वेस्टर्न कोलफील्ड की नौकरी से इस्तीफा दिलवाकर चुनाव मैदान में उतारा था. इस चुनाव में कांग्रेस के तेजीलाल सरेआम ने जीत दर्ज की थी. वहीं 2013 में एक बार फिर भाजपा ने मजदूर आदिवासी नेता नत्थन शाह को मैदान में उतारा लेकिन कांग्रेस ने युवा नेता सुनील उईके पर दांव लगाया था और यहां पर बीजेपी ने जीत दर्ज की थी. जबकि 2018 के विधानसभा चुनाव में एक बार फिर कांग्रेस से युवा नेता सुनील उईके और बीजेपी से मजदूर आदिवासी नेता नत्थनशाह कवरेती मैदान में थे, लेकिन यहां पर कांग्रेस के युवा नेता सुनील उईके ने जीत दर्ज की. इस तरह से कांग्रेस का दबदबा कायम रहा.
ये रहे अब तक के चुनावी नतीजे: यहां 2018 में कांग्रेस के सुनील ऊइके को 78573 वोट मिले और बीजेपी के आशीष ठाकुर 55885 को वोट मिले. कांग्रेस ने 22688 वोट से चुनाव जीता था.
साल 2013 के नतीजे: साल 2013 में बीजेपी के नत्थन शाह को 74319 वोट मिले और कांग्रेस के सुनील ऊइके को 54198 वोट मिले थे. बीजेपी के नत्थन शाह ने 20121 वोटों से जीत दर्ज की थी.