छिंदवाड़ा। आज की तारीख में जहां रसोई गैस इतना महंगा हो चुका है कि आम आदमी का बजट गड़बड़ा रहा है. वहीं दूसरी ओर छिंदवाड़ा के आदिवासी भुम्मा गांव के लोगों को चूल्हा जलाने के लिए ना तो लकड़ी और गैस के लिए LPG की जरूरत नहीं पड़ती है क्योंकि इस गांव के हर घर की रसोई जैविक ईंधन से जल रही है. यहां हर एक घर में बायोगैस प्लांट है.
छिंदवाड़ा का आदिवासी भुम्मा गांवः जैविक ईंधन से जलता है हर घर का चूल्हा, बचत के साथ-साथ पर्यावरण संरक्षण भी
छिंदवाड़ा का आदिवासी भुम्मा गांव के हर घर का चूल्हा जैविक ईंधन से जल रहा है. इस गांव के हर घर में बायो गैस प्लांट (chhindwara bio gas plant) है. इससे लोगों की बचत भी हो रही है, वहीं पर्यावरण का संरक्षण भी हो रहा है.
तीन दशक पहले हुई शुरूआत
ग्रामीणों ने बताया है कि सन 1990 में सरकारी योजना के तहत सबसे पहले दो घरों में बायोगैस प्लांट (chhindwara bio gas plant) लगाया गया था. लोगों को जब उसके फायदे समझ आएं तो अब गांव के हर एक घर में बायोगैस प्लांट है. सबसे बड़ा फायदा ये है कि ना तो अब घर में महंगी एलपीजी की जरूरत पड़ती है और ना ही जंगलों से लकड़ी लाने की और पूरा गांव लोगों को जैविक खेती के जरिए खुशहाल बन रहा है.
पर्यावरण की रक्षा के साथ ही पैसों की बचत
हर घर में बायोगैस प्लांट होने से रसोई के सारे काम इसी से हो जाते हैं, इसका सबसे बड़ा फायदा पर्यावरण को है. दरअसल जंगल के नजदीक होने के चलते पहले गांव में लोग जंगल से लकड़ियां लाते थे, लेकिन अब जंगल सुरक्षित है. इतना ही नहीं लगातार एलपीजी के बढ़ रहे दामों से भी अब ग्रामीणों को राहत है, क्योंकि इनके घर के चूल्हे बायो गैस से जल रहे हैं.
जैविक खेती को भी बढ़ावा
बायोगैस प्लांट को संचालित करने के लिए गोबर की जरूरत होती है इसलिए हर एक घर में पशुधन है इसका सबसे बड़ा फायदा खेतों में होता है बायोगैस से गैस बनने के बाद अपने आप गोबर खाद भी बन जाती है जो किसान खेतों में उपयोग करते हैं और पूरी तरीके से जैविक खेती (organic farming in chhindwara) कर रहे हैं, जिसका लाभ लोगों की सेहत को मिल रहा है. एक तरफ जहां हर उत्पादक रासायनिक खादों वाला मिल रहा है. ऐसे समय में इस गांव में जैविक खेती को बढ़ावा दिया जा रहा है. अलग-अलग जगह लगने वाले कृषि मेलों में इस गांव के जैविक उत्पाद पहुंचते हैं और प्रदेश भर में बिक रहे हैं. हैदराबाद के लैब से भी इस गांव के कृषि उत्पाद को जैविक खेती के लिए सर्टिफाइड किया गया है.
खेती के साथ रोजगार भी
गांव में बायोगैस प्लांट लगाने के बाद लोगों को रोजगार भी मिल रहा है, क्योंकि इसे संचालित करने के लिए गोबर की जरूरत होती है. इसके चलते हर घर में पशु पालन किया जा रहा है. पशुपालन से दुग्ध उत्पाद का व्यवसाय लोग आसानी से कर रहे हैं, जिसके चलते हर एक घर में रोजगार भी मिल रहा है.