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MP Drought Problem : कम बारिश के कारण फसलें सूखने की कगार पर, छिंदवाड़ा में पीली पड़ने लगी मक्का की फसल, किसान परेशान

By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Sep 5, 2023, 11:24 AM IST

कृषि के मामले में कॉर्न सिटी के नाम से पहचान बनाने वाले छिंदवाड़ा जिले में बहुत कम बारिश के कारण फसलें सूखने की कगार पर हैं. जिले में इस साल 3 लाख 60 हजार हेक्टेयर में मक्का बोया गया है. पानी के अभाव में मक्के की फसल सूखकर पीली पड़ गई है. अब अन्नदाता के सामने जल संकट के साथ ही परिवार का भरण-पोषण करने की समस्या है. MP Drought Problem

MP Drought Problem
कम बारिश के कारण फसलें सूखने की कगार पर

कम बारिश के कारण फसलें सूखने की कगार पर

छिंदवाड़ा।जिले में मक्के की पैदावार सबसे अधिक होती है. शुरू हुई अच्छी बारिश के कारण किसानों ने मक्के की फसल बड़ी उम्मीदों से लगाई. लेकिन सवा माह से बारिश नहीं होने के कारण मक्के की फसल सूख गई है. छिंदवाड़ा जिले में कम बारिश होने के कारण फसलों पर काफी विपरीत प्रभाव पड़ रहा है. पानी के अभाव में फसलें सूखने की कगार में पहुंच रही हैं. अगर यही हाल रहा तो अन्नदाता की फसलें चौपट हो जाएंगी. किसानों का कहना है कि कर्ज लेकर फसल पर काम किया लेकिन प्राकृतिक आपदा से कमर टूट रही है. MP Drought Problem

किसानों का छलका दर्द :किसान अर्जुन यादव ने ईटीवी भारत को बताया कि लगभग 10 एकड़ जमीन पर मक्के की फसल लगाई है. जैसे-तैसे उन्होंने 20 से 25 हजार रुपए ब्याज पर कर्ज लेकर और मेहनत मजदूरी कर जोड़े हुए पैसों से बीज खरीद कर फसल तो लगा दी. फसल लग भी गई लेकिन इंद्र देवता के प्रकोप के चलते किसान अब काफी परेशान हैं. डर सता रहा है कि अब यदि पानी नहीं गिरा तो उनकी फसल और चौपट हो जाएगी. वैसे ही अभी सूखने की स्थिति में है और उनके परिवार का भरण पोषण किस प्रकार चलेगा, कैसे कर्जा चुकाएंगे. वहीं, किसान कल्याण तथा कृषि विभाग छिंदवाड़ा के DDA जितेन्द्र सिंह ने बताया कि इस बार फसलें अच्छी दिख रही थीं लेकिन अब बारिश के अभाव में सूखने लगी हैं. MP Drought Problem

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छिंदवाड़ा जिले में खरीफ की फसल :

  • मक्का 3 लाख 60हजार हेक्टेयर
  • धान 32 हजार 120 हेक्टेयर
  • ज्वार 1 हजार 184 हेक्टेयर
  • उड़द 1हजार 415 हेक्टेयर
  • मूग 1 हजार 740 हेक्टेयर
  • अरहर 18 हजार 080 हेक्टेयर
  • तिल 83 हेक्टेयर
  • रामतिल 618 हेक्टेयर
  • मूंगफली 3 हजार 153 हेक्टेयर
  • सोयाबीन 22 हजार 375 हेक्टेयर
  • कपास 52 हजार 800 हेक्टेयर
  • कोदो कुटकी 2 हजार 930 हेक्टेयर

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