छिंदवाड़ा।बीते 4 साल से अपने मकान का सपना संजोए प्रधानमंत्री आवास योजना के हितग्राहियों को झटका लगा है.आवास योजना में हुए करोड़ों के घोटाले की गोपनीय रिपोर्ट में कई खुलासे हुए हैं. प्रोजेक्ट ठेकेदार की बजाय निगम अधिकारियों ने करोड़ों के काम अपने चहेते ठेकेदारों से करवा लिए. विवाद होने पर आनन-फानन में अपने चहेतों ठेकेदारों को करोड़ों का भुगतान कर दिया गया. अफसर बदलने के बाद प्रोजेक्ट को लेकर हंगामा हुआ तो नगर निगम अधिकारियों ने आनंदम्, परतला, इमलीखेड़ा और खजरी की गोपनीय जांच करवाई. इसमें घोटाले की एक-एक गड़बड़ियों का जिक्र किया गया है. सबसे बड़ी बात है कि पूर्व परिषद का कार्यकाल खत्म होने के बाद इस बड़े घोटाले का नगर निगम में अंजाम दिया गया.
प्रशासक की जानकारी के बिना पेमेंट :निविदा और प्रोजेक्ट कास्ट को लेकर तात्कालिक प्रशासक सौरभ कुमार सुमन के हस्ताक्षर होने थे, लेकिन प्रशासक के संज्ञान में लाए बगैर अधिकारियों ने ये कार्य करवा लिए. हाल ही में बनी रिपोर्ट में अधिकारियों ने जिक्र किया है कि टाइल्स, सेनेटरी, बिजली फिटिंग के कार्य की अलग निविदाएं निकाली गईं, जबकि ये प्रोजेक्ट रिपोर्ट में होनी थीं. जिस वजह से निगम को करोड़ों का घाटा हुआ है. नगर निगम छिंदवाड़ा ने पीएम आवास योजना के तहत चार हाउसिंग प्रोजेक्ट की शुरुआत की थी. जिसमें बिल्डिंग के आंतरिक कार्य व मधु संरक्षण के कार्य कराए जाने की निविदाएं जारी की गईं. लेकिन इनका कोई ठोस कारण फाइल में नहीं बताया गया निविदा की शर्तों का पालन नहीं किया गया. सक्षम अधिकारी की स्वीकृति भी नहीं ली गई. प्रशासक के संज्ञान में लाए बिना निविदा निकाली गई और काम का भुगतान भी कर दिया गया.
ऐसे किया गोलमाल :नियम है कि उसी हितग्राही को पीएम आवास के मकान दिए जाएंगे, जिनका कहीं कोई भूखंड ना हो. लेकिन एक व्यक्ति एक परिवार को 33 भूखंड आवंटित कर दिए गए. सभी प्रोजेक्ट में भ्रष्टाचार की परतें खुल रही हैं. सोनपुर रोड में बनाए गए आनंदम प्रोजेक्ट के तहत ₹32 करोड़ प्रस्तावित था लेकिन अतिरिक्त काम करवाने की बजाय इसकी लागत कई गुना बढ़ गई. इस प्रोजेक्ट में ₹10 करोड़ 44 लाख रुपए का अतिरिक्त खर्च किया गया. यहां कुल 228 मकान बनाए गए हैं. इसी तरह इमलीखेड़ा प्रोजेक्ट में 78 मकानों का निर्माण किया जाना है. प्रोजेक्ट में सीसी रोड, नाली, सीवर लाइन, मैनहोल सहित सुंदरता के अलावा 86 लाख का एक्स्ट्रा काम करवाया गया. 21.09 स्क्वायर मीटर का क्षेत्रफल भी बढ़ा दिया गया, जिसकी कोई सहमति किसी हितग्राही से नहीं ली गई. इसी तरह परतला प्रोजेक्ट में 23 मकान बनाए जाने हैं, इसका काम भी सालों से रुका है. निगम को 2.40 करोड़ रुपए की राशि प्राप्त हुई है. इस राशि से ठेकेदार को 1.50 करोड़ का भुगतान किया गया. निर्माण की गलत लागत से एक मकान की कीमत ₹45 लाख आ रही है. जबकि इसे 30 से 33 लाख रुपए में बेचे गए. खजरी में भी 43 मकान बनाए गए हैं, जिनका इंतजार हितग्राहियों को है.