छिंदवाड़ा। सरकार भले ही बच्चों का भविष्य संवारने के लिए स्कूलों पर करोड़ों रूपए खर्च करने का दावा कर रही है, लेकिन हकीकत कुछ और ही बयां करती है. आज भी प्रदेश के कई ऐसे जिले हैं, जहां छात्र मुलभूत सुविधाओं के लिए तरस रहे हैं. छिंदवाड़ा के करीब 2 हजार से ज्यादा स्कूलों में बिजली नहीं है और कई स्कूलों में छात्रों को पीने के लिए न तो पानी की व्यवस्था है और न ही खेल का मैदान मयस्सर है. हाल के दिनों में शिक्षा विभाग की तरफ से जारी आंकड़ों पर नजर डालें तो पूरे प्रदेश में 67902 स्कूलों में आज भी बिजली नहीं है. जिसमें छिंदवाड़ा जिले के 2620 स्कूल भी शामिल हैं, जहां अंधेरे में भविष्य रोशन किया जा रहा है.
67902 स्कूलों के स्याह अंधेरे में 'रोशन' हो रहा 'भविष्य', छिंदवाड़ा मॉडल भी नहीं मिटा सका अंधेरा
मध्यप्रदेश के 67902 स्कूलों के स्याह अंधेरे में रोशन किया जा रहा है देश का भविष्य, मुख्यमंत्री कमलनाथ का छिंदवाड़ा मॉडल भी इस स्याह अंधेरे को दूर करने में नाकाम रहा है. अकेले छिंदवाड़ा जिले के 2620 स्कूलों में अभी तक बिजली कनेक्शन नहीं है, जबकि कई स्कूल अभी भी मुलभूत सुविधाओं को तरस रहे हैं.
छिंदवाड़ा शहर के वार्ड नंबर 3 धीमरी थाना के शासकीय प्राथमिक शाला को देखकर अंदाजा लगाया जा सकता है कि जिले के और भी स्कूलों की क्या हालत होगी. पहली से पांचवी तक संचालित होने वाले इस सरकारी स्कूल में बिजली तो दूर की बात है. यहां पीने के लिए पानी तक की व्यवस्था नहीं है. ईटीवी भारत जब स्कूलों की हकीकत जानने के लिए डुमरी थाना क्षेत्र के सरकारी स्कूल में पहुंचा तो खेल के मैदान के अभाव में पत्थरों के बीच बच्चे खेलते नजर आए.
स्कूल शिक्षक ने खुद बताया कि बिजली तो दूर की बात है, यहां पीने के लिए पानी और बच्चों के खेलने के लिए मैदान भी नहीं है. और तो और स्कूल तक पहुंचने वाली सड़क इतनी खराब है कि बारिश में बच्चों को आने-जाने में परेशानियों का सामना करना पड़ता है. शिक्षिका ने कई बार आला अधिकारियों की इसकी जानकारी दी, लेकिन किसी ने भी इस ओर ध्यान नहीं दिया.