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न मदद की आस, न साधन का इंतजार, दिन-रात पैदल ही चले जा रहे 'मजबूर'

मजदूर हैं कि दिन-रात चले जा रहे हैं, न सरकार से मदद की आस है, न किसी साधन का इंतजार. नंगे पांव ही प्रवासी मजदूर सड़क नापे जा रहे हैं. बस, उनकी एक ही पुकार है, प्लीज... मुझे घर जाने दो सकार.

Just go home now
बस अब घर जाना है

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Published : May 18, 2020, 10:54 AM IST

Updated : May 18, 2020, 3:23 PM IST

छिंदवाड़ा। बहुत गुरूर था सड़कों को अपने लंबा होने का, मजदूरों ने नंगे पांव ही नाप डाला. वैसे तो देश में गरीबों के लिए कई योजनाएं चल रही हैं, पर हकीकत कुछ और ही नजर आती है. केंद्र व राज्य सरकारें प्रवासी मजदूरों को उनके घर तक पहुंचाने के तमाम दावे कर रही हैं, लेकिन पैदल सड़क नापते मजदूर सरकारी दावों की पोल खोल रहे हैं. आलम ये है कि मजदूर दिन-रात चले जा रहे हैं, भूखे-प्यासे हैं पर कदम हैं कि आगे बढ़ते ही जा रहे हैं.

बस अब घर जाना है

कोरोना संक्रमण रोकने के लिए पूरे देश में लॉकडाउन का चौथा चरण आज से शुरू हो गया है. ये मजदूर बिना किसी मेडिकल चेकअप और बिना परमिशन के ट्रकों में भरकर सफर करने को मजबूर हैं. मजदूर अब किसी भी कीमत पर अपने घर पहुंचना चाहते हैं, चाहे तरीका कोई भी हो. कोई साइकिल से तो कहीं ट्रक में भरकर और कुछ पैदल ही घर की ओर निकल पड़े हैं. छिंदवाड़ा के सिल्लेवानी घाट पर ऐसा ही नजारा देखने को मिला, जहां कई ट्रकों में 60 से 70 मजदूर भेड़-बकरियों की तरह सफर तय कर रहे हैं. मजदूरों ने बताया कि वे सूरत में काम करते थे और बिहार जा रहे हैं.

मजदूरों को वाहनों से घर भेज रहे

काम बंद होने से मजदूरों को रोजी-रोटी चलाना मुश्किल हो गया है. जो पैसे बचे थे वे भी खत्म हो गए. अब उनके सामने आर्थिक संकट खड़ा हो गया है. परिवार का भरण पोषण कर पाना बेहद मुश्किल हो गया है, जिसके चलते मजदूर घरों की ओर पलायन कर रहे हैं. चेन्नई और सूरत से निकले ये मजदूर इतने थक गए कि सड़क पर बैठे-बैठे ही सो गए. इन मजदूरों की सरकार से बस एक ही गुहार है कि प्लीज... घर जाने दो साहब.

जमीनी स्तर पर हालात
Last Updated : May 18, 2020, 3:23 PM IST

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