छिंदवाड़ा। कोरोना काल में कॉर्न सिटी के नाम से मशहूर छिंदवाड़ा के मक्का किसानों पर दोहरी मार पड़ रही है. अतिवृष्टि के चलते पहले ही किसान बर्बाद हो चुका है, अब किसान सरकार की योजनाओं के चलते बर्बादी की कगार पर पहुंच रहा है. मध्यप्रदेश में खरीफ की फसल के लिए पंजीयन शुरू हो गया है, लेकिन मक्के की फसल का पंजीयन सरकार ने बंद कर दिया है. जिले भर में करीब 2 लाख 60 हेक्टेयर जमीन पर किसानों ने मक्का उगाया है. सरकार के इस फैसले से किसानों को काफी परेशानियों का समना करना पड़ रहा है.
मध्यप्रदेश में सर्वाधिक मक्के का उत्पादन छिंदवाड़ा जिले में किया जाता है. इस बार जिले में करीब 2 लाख 60 हेक्टेयर जमीन में मक्का लगाया गया था, लेकिन बारिश के चलते काफी फसल बर्बाद हुई है और अब समर्थन मूल्य पर खरीदी के लिए पंजीयन नहीं हो रहा. वहीं केंद्र सरकार ने मक्के का समर्थन मूल्य 1850 तय किया है, लेकिन मध्यप्रदेश में खरीदी के लिए कोई योजना नहीं है. इसलिए खरीफ में की धान, सोयाबीन, ज्वार और बाजरा की फसलों का पंजीयन हो रहा है, लेकिन मक्के की फसल का पंजीयन नहीं हुआ.
800 सौ से लेकर 1 हजार क्विंटल है मक्के का भाव