छिंदवाड़ा । जिले के पांढुर्णा में एक ऐसा प्राचीन शिव मंदिर है, जहां हर साल आस्था का मेला लगता है. श्रद्धालु इस मंदिर को "जूना पांढुर्णा शिव" के नाम से जानते हैं. श्रद्धालुओं के मुताबिक 400 साल पहले जूना पांढुर्णा गांव में पिंडारी लोगों की बस्ती हुआ करती थी. लेकिन इस गांव में अचानक महामारी आ गई, जिससे लोगों की मौत होने लगी. गांव में अचानक बीमारी का प्रकोप देखते हुए लोग दहशत में आ गए. लोगों ने नदी किनारे शिव मूर्ति की स्थापना करके भगवान शिव की पूजा शुरू कर दी. देखते ही देखते गांव में फैली भयंकर बीमारी से लोगों को निजात मिलने लगा. लोग महामारी से ठीक होने लगे, लेकिन ज्यादातर लोगों की जान जाने के चलते ग्रामीणों ने पांढुर्णा में रहने से इंकार कर दिया और उन्होंने इस बस्ती को खाली कर चार किमी दूर स्थित जाम नदी के किनारे नई पांढुर्ना नाम की बस्ती बना ली. तब से लेकर इस गांव को जूना पांढुर्णा के नाम से जाना जाता है.
प्राचीन कुएं के पानी से भोलनाथ का अभिषेक
लोगों के मुताबिक प्राचीन शिव मंदिर के बाजु में आज भी कुंआ मौजूद है. इसी कुएं से पहले पूरे गांव की प्यास बुझती थी. यह प्राचीन कुंआ आज भी उन लोगों की याद दिलाता हैं, जो इस बस्ती में रहते थे. इस प्राचीन कुंए के पानी से आज भी भगवान भोलेनाथ का जलाभिषेक किया जाता है. बता दें कि इस प्राचीन शिव मंदिर में हर साल महाशिवरात्रि को आस्था का मेला लगता है. सोमवार से सावन महीने में यहां लोग पूजा करने पहुंचते हैं. श्रद्धालु बताते हैं कि भगवान भोलेनाथ हर मनोकामना को पूरा करते हैं. वीररुद्र मुनि शिवाचार्य महाराज का कहना है कि जूना पांढुर्णा गांव खाली होने के सदियों बाद भी खुदाई करने पर इस जमीन से मूर्तियां और बर्तन निकलते हैं.
बहुत खास है पांढुर्णा का इतिहास
पांढुर्णा का इतिहास बहुत ही खास है, एक समय यहां पर मराठा साम्राज्य का बोलबाला था. शिवाजी भोसले की रियासत का यह शहर उस समय उत्तर-दक्षिण भारत को जोड़ता था. यहां पर कई युद्ध भी लड़े जा चुके हैं, जो इतिहास में दर्ज हैं.