छिंदवाड़ा।अक्षय तृतीया का पर्व भारतीय पर्वों में एक विशेष महत्व रखता है. इस मुहूर्त को बेहद ही शुभ माना जाता है. किसी भी नए काम की शुरुआत से लेकर महत्वपूर्ण चीजों की खरीदारी, विवाह, शादियां जैसे काम भी इस मुहूर्त में किए जा सकते हैं. अक्षय तृतीया का पर्व हर साल वैशाख शुक्ल पक्ष की तृतीय तिथि को मनाया जाता है. ऐसी मान्यता है कि भगवान नारायण, परशुराम के अवतार सहित ब्रह्मा जी के पुत्र अक्षय कुमार का जन्म हुआ था.
अक्षय तृतीया का महत्व
पौराणिक मान्यता है कि अक्षय तृतीया के दिन जो भी कार्य किए जाते हैं. उन कार्यों के लिए मुहूर्त की आवश्यकता नहीं होती है, अक्षय तृतीया की तिथि अपने आप में एक विशेष महत्व रखती है, इस दिन मटकी का पूजन किया जाता है. पौराणिक कहानियों के मुताबिक, इसी दिन महाभारत की लड़ाई खत्म हुई थी. द्वापर युग का समापन भी इसी दिन हुआ था. ऐसा माना जाता है कि अगर इस दिन कोई भी नया काम शुरू किया जाता है तो बरकत और ख्याति मिलती है. अक्षय तृतीया के दिन स्नान, ध्यान, जप-तप, हवन करना, पितर तर्पण करना और दान पुन्य करने का विशेष महत्व होता है.
कोरोना का शादी विवाह पर पड़ा बुरा प्रभाव
कोरोना काल में शादी विवाह जैसे कार्य काफी हद तक प्रभावित हुए हैं. शासन द्वारा दी गई गाइडलाइनओं के चलते शादी विवाह के कार्यक्रम नई के बराबर हो गए हैं. कोरोना से पहले अक्षय तृतीया के दिन शादी विवाह कार्यक्रम से पूरा शहर गुलजार रहता था. वहीं अब कोरोना काल के चलते सन्नाटा पसरा हुआ है. इस दिन इतनी शादियां होती थी कि लोगों को पंडित, बाजे वाले और अन्य लोगों की आवश्यकता होती थी, परंतु कई बार तो लोग मिल नहीं पाते थे.