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Generic Medicines: दम तोड़ रही सरकारी जन औषधि योजना, बंद हो गए स्टोर - जन औषधि स्टोर

आम लोगों को राहत देते हुए दवाइयां कम दामों में मिले, इसके लिए भारत सरकार ने जन औषधि स्टोर खोले थे, जहां पर आसानी से लोगों को दवाइयां उपलब्ध हो सकती थीं. लेकिन अब ये बंद हो गई है. पढ़िए पूरी खबर..

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दम तोड़ रही जन औषधि योजना

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Published : Dec 28, 2020, 10:34 PM IST

छिंदवाड़ा। भारत सरकार ने 1 जुलाई 2015 को उच्च गुणवत्ता वाली जेनेरिक दवाइयों के लिए जन औषधि स्टोर खोले थे, जहां पर कम दामों में लोगों को दवाइयां उपलब्ध हो सकती थीं. इसी कड़ी में जिले में भी दो स्टोर खोले गए थे, जो अब बंद हो गए हैं.

दम तोड़ रही जन औषधि योजना
छिंदवाड़ा में खोले गए थे दो स्टोर, लेकिन हो गए बंद

प्रधानमंत्री जन औषधि योजना के तहत जिले में भी दो स्टोर खोले गए थे. एक जन औषधि केंद्र जिला अस्पताल के सामने खोला गया था, तो वहीं दूसरा तिलक मार्केट में खोला गया था. कुछ दिन तक तो स्टोर जरूर चले, लेकिन उसके बाद बंद भी हो गए. ग्राहकों ने बताया कि डॉक्टर जो भी दवाइयां पर्ची में लिखते थे, उस हिसाब से सारी दवाईयां जन औषधि केंद्र में मिलती नहीं थी. इस वजह से जन औषधि केंद्र ज्यादा दिनों तक नहीं चल सका.

सस्ते दामों में दवाइयां देने की हैं योजना

दरअसल भारत सरकार ने प्रधानमंत्री जन औषधि योजना शुरू की थी, जिसमें ऐसे स्टोर खोले गए थे, जहां पर अच्छी गुणवत्ता और सस्ते दामों की जेनेरिक दवाइयां लोगों को मिल सकें.

सरदार वल्लभ भाई नि:शुल्क दवा वितरण योजना हैं जारी

भले ही केंद्र सरकार की जन औषधि योजना दम तोड़ रही हो, लेकिन अभी भी जिला अस्पतालों में सरदार वल्लभ भाई पटेल नि:शुल्क दवा वितरण योजना कारगर साबित हो रही है. साल 2012 में मध्य प्रदेश सरकार ने जिला अस्पतालों और सरकारी अस्पतालों में ही मरीजों को नि:शुल्क दवाइयां देने की योजना शुरू की थी, जिससे गरीब आसानी से अपना इलाज करा सकें. ये योजना अभी भी मरीजों को लाभ पहुंचा रही है.

दवाइयों के नाम की जगह डॉक्टर लिखते हैं कंपनियों का नाम

डॉक्टरों को साफ निर्देश दिए गए है कि मरीजों के पर्चे पर दवाइयों के नाम लिखे जाएं, लेकिन व्यावसायिक प्रतिस्पर्धा के इस दौर में अधिकतर डॉक्टर दवाइयों के नाम ना लिखकर कंपनियों के नाम लिख देते हैं. जिससे अधिकतर मरीज उसी नाम की दवा खरीदते हैं. ऐसे में कंपनियों का फायदा कराने के चक्कर में मरीजों को आर्थिक नुकसान झेलना पड़ता है.

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