छिंदवाड़ा। बोहनाखैरी ग्राम पंचायत में फर्जी मृत्यु प्रमाण पत्र (fake death certificate) बनाकर दो-दो लाख रुपए गबन करने के मामले में कार्रवाई लगातार जारी है. ऐसे में अब प्रभारी मंत्री कमल पटेल (Kamal Patel) ने एसपी (SP) को एसआईटी (SIT) गठित कर मामले की जांच करने के आदेश दिए हैं.
एसआईटी गठित करने के आदेश
जिले के प्रभारी मंत्री कमल पटेल (Kamal Patel) ने एसपी (SP) को इस मामले की जांच के लिए एसआईटी गठन करने के आदेश दिए हैं. मंत्री ने पूरे मामले के खुलासे के साथ ही कठोरतम कार्रवाई के आदेश दिए हैं. कृषि मंत्री का कहना है कि पीड़ितों को फिर से जीवित सत्यापित कर उनके जॉब कार्ड (Job Card) और राशन के साथ बाकी सुविधाओ को शीघ्र ही बहाल किया जाए. कृषि मंत्री ने पूरे मामले पर अभी तक हुई कार्रवाई की जानकारी ली. साथ ही दोषियों के साथ सख्ती से निपटने के आदेश भी दिए.
मंत्री ने एसपी को किया फोन
प्रभारी मंत्री कमल पटेल ने एसपी विवेक अग्रवाल से फोन पर चर्चा करते हुए कहा है कि किसी को जीते जी मार डालना बहुत बड़ा अपराध है. जरूर इस कारनामे में बड़े-बड़े अधिकारी शामिल होंगे. इसलिए पूरे तरीके से जांच कर सभी के नाम का खुलासा कर उनपर कड़ी से कड़ी कार्रवाई की जाए.
7 संगीन धाराओं में मामला दर्ज
बता दें कि हाल ही में आरोपी सचिव राकेश चंदेल (Rakesh chandel) ने बकायदा थाने में जाकर सरेंडर किया. हालांकि, इस घटना के बाद पुलिस के खुफिया तंत्र पर सवालिया निशान जरूर लग रहा है कि फरार आरोपी थाने के पास प्रेस वार्ता करता रहा और पुलिस को भनक तक नहीं थी. आरोपी ने खुद को बेकसूर बताते हुए जनपद पंचायत के कर्मचारियों पर कई गंभीर आरोप लगाए.
आरोपी ने लगाए अन्य कर्मचारियों पर आरोप
पंचायत सचिव राकेश चंदेल ने कहा कि वह इस मामले में बेकसूर है. पोर्टल की आईडी और पासवर्ड जनपद पंचायत में ही रहते हैं. उसे जनपद पंचायत के चार बाबू मानसिक रूप से दबाव डालकर दस्तावेजों में साइन करवाते थे. साथ ही सचिव ने बताया कि रोजगार सहायक संजय चौरे कंप्यूटर से संबंधित सभी काम करता था. इसलिए इन सबने मिलकर उसे फंसा दिया. उसने कहा कि वह खुद पुलिस में सरेंडर कर जांच में सहयोग करना चाहता है.
कलेक्टर ने तीनों आरोपियों को किया निलंबित
दरअसल, ग्राम पंचायत बोहनाखैरी के सचिव राकेश चंदेल रोजगार सहायक और पंचायत समन्वयक ने मिलकर 24 ग्रामीणों की फर्जी मृत्यु सर्टिफिकेट (fake death certificate) बनाएं और फिर मध्य प्रदेश सरकार की योजना संबल के तहत मिलने वाली अनुग्रह राशि दो-दो लाख रुपए का गबन किया था, जिसके बाद ग्रामीणों की शिकायत पर पुलिस ने तीनों के खिलाफ सात धाराओं में मामला दर्ज कर जांच शुरू की. जिसके बाद कलेक्टर ने तीनों आरोपियों को निलंबित कर दिया.