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फर्जी मृत्यु प्रमाण पत्र मामला: ऊपर के अफसर भी आएंगे लपेटे में,  SIT करेगी जांच

फर्जी मृत्यु प्रमाण पत्र (fake death certificate) बनाकर दो लाख की राशि निकालने के मामले अब नया मोड़ आ गया है. अब प्रभारी मंत्री कमल पटेल (Kamal patel) ने एसपी (SP) को एसआईटी (SIT) गठित कर मामले की जांच करने के आदेश दिए हैं. हालांकि, आरोपी सचिव राकेश चंदेल ने चौरई पुलिस थाने में जाकर पहले ही सरेंडर कर दिया है.

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Published : Sep 1, 2021, 7:59 AM IST

Updated : Sep 1, 2021, 9:04 AM IST

fake death certificate
फर्जी मृत्यु प्रमाण पत्र

छिंदवाड़ा। बोहनाखैरी ग्राम पंचायत में फर्जी मृत्यु प्रमाण पत्र (fake death certificate) बनाकर दो-दो लाख रुपए गबन करने के मामले में कार्रवाई लगातार जारी है. ऐसे में अब प्रभारी मंत्री कमल पटेल (Kamal Patel) ने एसपी (SP) को एसआईटी (SIT) गठित कर मामले की जांच करने के आदेश दिए हैं.

एसआईटी गठित करने के आदेश
जिले के प्रभारी मंत्री कमल पटेल (Kamal Patel) ने एसपी (SP) को इस मामले की जांच के लिए एसआईटी गठन करने के आदेश दिए हैं. मंत्री ने पूरे मामले के खुलासे के साथ ही कठोरतम कार्रवाई के आदेश दिए हैं. कृषि मंत्री का कहना है कि पीड़ितों को फिर से जीवित सत्यापित कर उनके जॉब कार्ड (Job Card) और राशन के साथ बाकी सुविधाओ को शीघ्र ही बहाल किया जाए. कृषि मंत्री ने पूरे मामले पर अभी तक हुई कार्रवाई की जानकारी ली. साथ ही दोषियों के साथ सख्ती से निपटने के आदेश भी दिए.

मंत्री ने एसपी को किया फोन
प्रभारी मंत्री कमल पटेल ने एसपी विवेक अग्रवाल से फोन पर चर्चा करते हुए कहा है कि किसी को जीते जी मार डालना बहुत बड़ा अपराध है. जरूर इस कारनामे में बड़े-बड़े अधिकारी शामिल होंगे. इसलिए पूरे तरीके से जांच कर सभी के नाम का खुलासा कर उनपर कड़ी से कड़ी कार्रवाई की जाए.

7 संगीन धाराओं में मामला दर्ज
बता दें कि हाल ही में आरोपी सचिव राकेश चंदेल (Rakesh chandel) ने बकायदा थाने में जाकर सरेंडर किया. हालांकि, इस घटना के बाद पुलिस के खुफिया तंत्र पर सवालिया निशान जरूर लग रहा है कि फरार आरोपी थाने के पास प्रेस वार्ता करता रहा और पुलिस को भनक तक नहीं थी. आरोपी ने खुद को बेकसूर बताते हुए जनपद पंचायत के कर्मचारियों पर कई गंभीर आरोप लगाए.

आरोपी ने लगाए अन्य कर्मचारियों पर आरोप
पंचायत सचिव राकेश चंदेल ने कहा कि वह इस मामले में बेकसूर है. पोर्टल की आईडी और पासवर्ड जनपद पंचायत में ही रहते हैं. उसे जनपद पंचायत के चार बाबू मानसिक रूप से दबाव डालकर दस्तावेजों में साइन करवाते थे. साथ ही सचिव ने बताया कि रोजगार सहायक संजय चौरे कंप्यूटर से संबंधित सभी काम करता था. इसलिए इन सबने मिलकर उसे फंसा दिया. उसने कहा कि वह खुद पुलिस में सरेंडर कर जांच में सहयोग करना चाहता है.

कलेक्टर ने तीनों आरोपियों को किया निलंबित
दरअसल, ग्राम पंचायत बोहनाखैरी के सचिव राकेश चंदेल रोजगार सहायक और पंचायत समन्वयक ने मिलकर 24 ग्रामीणों की फर्जी मृत्यु सर्टिफिकेट (fake death certificate) बनाएं और फिर मध्य प्रदेश सरकार की योजना संबल के तहत मिलने वाली अनुग्रह राशि दो-दो लाख रुपए का गबन किया था, जिसके बाद ग्रामीणों की शिकायत पर पुलिस ने तीनों के खिलाफ सात धाराओं में मामला दर्ज कर जांच शुरू की. जिसके बाद कलेक्टर ने तीनों आरोपियों को निलंबित कर दिया.

पुलिस ढूंढ रही थी आरोपी को, वो कर रहा था प्रेस कॉन्फ्रेंस: फर्जी मृत्यु प्रमाण-पत्र जारी करने के आरोपी ने किया सरेंडर


तीन सदस्यीय दल करेगा जांच
मामले की जांच को लेकर प्राथमिक तौर पर पता चला है कि 106 लोगों के फर्जी मृत्यु प्रमाण पत्र बनाए गए हैं. फिलहाल, इसकी जांच के लिए तीन सदस्यीय दल बनाया है, जो मामले की जांच कर रिपोर्ट सौंपेगा.


कैसे मिलता है योजना का लाभ
मध्य प्रदेश सरकार ने असंगठित मजदूरों के लिए संबल योजना शुरू की है. इसके तहत संबल कार्डधारियों को साधारण मौत होने पर 2 लाख रुपए की अनुग्रह राशि दी जाती है. इसके साथ ही अंतिम संस्कार के लिए 5 हजार रुपए की राशि दी जाती है. इसके तहत मृत्यु प्रमाण पत्र के साथ ही संबल कार्ड की आवश्यकता होती है. जिसे ग्राम पंचायत के माध्यम से जनपद पंचायत में भेजा जाता है.

इस तरह की हेराफेरी

पीड़ित घनश्याम यादव ने बताया कि बोहनाखैरी ग्राम पंचायत के सहायक सचिव ने 24 संबल कार्डधारियों के फर्जी मृत्यु प्रमाण पत्र (fake death certificate) बनाए. फिर संबल योजना के तहत आवेदन भी किया. आवेदन के बाद ग्राम पंचायत सचिव और पंचायत अधिकारियों ने मिलकर फर्जी बैंक खाता खोलकर दो-दो लाख रुपए की अनुग्रह राशि के साथ ही अंतिम संस्कार के लिए मिलने वाले 5 हजार रुपए भी डकार लिए. कुल घोटाले की राशि 49 लाख 20 हजार बताई जा रही है.


पीड़ितों का कहना है कि गांव के सह सचिव ने उनसे पेड़ों और पौधों के लिए पैसे मिलने की बात कहकर उनसे उनके आधार कार्ड और दूसरे जरूरी दस्तावेज मांगे. ग्रामीणों ने दस्तावेज दे दिए. जिसके बाद ग्राम पंचायत सचिव और पंचायत अधिकारियों ने मिलकर उनका दुरुपयोग कर पैसे निकाल लिए

Last Updated : Sep 1, 2021, 9:04 AM IST

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