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नर्सों की हड़ताल से चरमराई स्वास्थ्य व्यवस्था, मरीजों को नहीं मिल रहा उपचार - nurses association strike

जिला अस्पताल में इलाज के लिए आ रहे मरीजों को नर्सों की हड़ताल के कारण काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. यहां बीते 4 दिनों से जिला अस्पताल में स्वास्थ्य व्यवस्था लड़खड़ाई हुई है. यहां डॉक्टर और नर्स न होने के कारण मरीजों को निजी अस्पतालों में रेफर किया जा रहा है.

nurses strike
नर्सों की हड़ताल

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Published : Jul 4, 2021, 7:14 AM IST

छिंदवाड़ा।नर्सों की हड़ताल के कारण 4 दिनों से जिला अस्पताल में स्वास्थ्य व्यवस्था लड़खड़ाई हुई है. यहां डॉक्टर और नर्स न होने के कारण मरीजों को निजी अस्पतालों में रेफर किया जा रहा है. वार्ड में भर्ती मरीजों को ना तो इंजेक्शन लगाने के लिए नर्स हैं, और न ही उनकी देखरेख और दवाइयों देने के लिए कोई इंतजाम. यहां स्वास्थ्य व्यवस्था पूरी तरह से ठप हो चुकी है.


चौथे दिन भी नर्सों की हड़ताल जारी
प्रदेश भर में चल रहे नर्सों की हड़ताल का असर अब सीधा आम जनता के जनजीवन पर भी दिखाई दे रहा है. जहां पिछले 4 दिनों से सिविल सर्जन के ऑफिस के सामने नर्सें हड़ताल पर बैठी हैं. नर्स अपनी विभिन्न मांगों को लेकर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान से गुहार लगा रही हैं. वहीं नर्सों की हड़ताल का असर मरीजों और अस्पताल के कामकाज पर सीधा प्रभाव पड़ रहा है.


इलाज के लिए दर-दर भटक रहे मरीज
मरीज के परिजनों ने बताया कि, लगभग वह 2 दिनों से डिलीवरी करवाने के लिए जिला अस्पताल में चक्कर काट रहे हैं, लेकिन डॉक्टर उन्हें भर्ती करने को तैयार नहीं हैं. डॉक्टरों का कहना है कि नर्स नहीं हैं, तो वह किस प्रकार ऑपरेशन कर दें. नर्सों के बिना मरीजों का उपचार करना बहुत मुश्किल है. ऐसे में डॉक्टरों का कहना है कि मरीज उपचार के लिए निजी अस्पताल चले जाएं.


इंजेक्शन और बोतल लगाने के लिए नहीं है नर्स
गायनिक वार्ड में डॉक्टर पुरवा ने बताया कि, नर्स स्टॉप हड़ताल पर बैठी हुई हैं, जिसके कारण स्वास्थ्य व्यवस्था चरमरा गई है. डिलीवरी करवाने के लिए यहां पर 6 टेबल हैं. दिन भर में यहां 10 से 15 सीजर होते हैं और नॉर्मल डिलीवरी होती है, परंतु अब हाल यह है कि मुश्किल से 1-2 डिलीवरी ही यहां करा पा रहे हैं. डॉक्टर का कहना है कि वह डिलीवरी तो करा देंगे, लेकिन उसके बाद उनकी देखरेख इंजेक्शन और सलाइन कौन लगाएगा. इसके अलावा मरीज की हर गतिविधि पर नजर रखी जाती है.ऐसी कई समस्याएं हैं, जिसके कारण काफी दिक्कतें आ रही हैं. मजबूरन डॉक्टरों को कुछ लोगों को निजी अस्पताल या नागपुर रेफर करना पड़ रहा है.

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इसलिए हड़ताल पर हैं नर्सेज
नर्सों का कहना है कि वह पिछले कई सालों से लगातार अपनी मांगों को लेकर आंदोलन कर रही हैं. वहीं दूसरी ओर सरकार लगातार इनकी मांगों को टालते आ रही है. बता दें कि कोरोना काल में नर्सेस लगातार काम करते हुए संक्रमित हुई हैं. कई के परिवार में लोगों की मृत्यु हो चुकी है, लेकिन सरकार बावजूद इसके इनके प्रति संवेदनशील नहीं है. इनका कहना है कि अन्य राज्यों में नर्सेज को नर्सिंग ऑफिसर के पद पर माना जाता है और उन्हें ग्रेड-2 की सुविधा दी जाती है. वहीं मध्यप्रदेश में अभी भी स्टाफ नर्स का ही मानदेय दिया जाता है. वहीं रात में ड्यूटी करने के दौरान भी इनका अलाउंस अन्य राज्यों के मुकाबले कम है.

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