छिंदवाड़ा। आपने शासन और प्रशासन के दरवाजे पर लोगों को अपनी समस्याओं के आवेदन लेकर चक्कर काटते तो देखा होगा. लेकिन क्या कभी भगवान के दरवाजे पर लिखित आवेदन लेकर आते देखा. सुनने में थोड़ा अजीब लगता है लेकिन ऐसा होता है एमपी के इस मंदिर में. जी हां, छिंदवाड़ा जिले में लोग अपनी सभी प्रकार की परेशानी के लिए हनुमान जी के दरबार में लेटर पैड पर आवेदन लिखकर सौंपते हैं और एक नियत तिथि पर उसकी सुनवाई भी हो जाती है. वैसे तो यहां पर आवेदन लगाने के लिए कोई तारीख या दिन निश्चित नहीं किया गया है. परंतु लोगों की मान्यताओं के अनुसार अधिकतर अर्जियां यहां पर मंगलवार या शनिवार को ही लगाई जाती हैं. सैंकड़ों साल पुराने इस मंदिर में चाहे व्यापार, शादी, नौकरी या फिर कोई भी परेशानी क्यों ना हो, यहां तक की प्रशासनिक समस्याओं के निपटारे के लिए भी आवेदन लगाए जाते हैं. बाल रूप में विराजे हनुमान जी के इस मंदिर का नाम केसरी नंदन हनुमान मंदिर है.
तय समय में आवेदन पर हो जाती है सुनवाई:मंदिर प्रशासन ने भक्तों के लिए हनुमान जी के नाम का लेटर पैड बनाकर रखा हुआ है. जिसमें भक्त अपनी अर्जी लिखकर उसे फोल्ड करने के बाद उसमें सिंदूर से जय श्री राम लिखकर हनुमान जी को अर्पित करते हैं. अर्जी सिर्फ भगवान और भक्त के बीच ही रहती है. इस अर्जी को खोलने की अनुमति भी यहां किसी को नहीं है. परेशानी चाहे प्रशासनिक हो, सामाजिक हो, आर्थिक हो या फिर शादी से संबंधित सभी को भगवान कुछ ही दिनों में पूरा कर देते हैं. भक्त अपने भगवान को अर्जी लिखते वक्त उसमें निदान करने के लिए तारीख भी लिख देते हैं. लोग बताते हैं कि तयशुदा वक्त में भक्तों के आवेदन पर सुनवाई भी हो जाती है.
चढ़ावे के नारियल से बना दी गई चारदीवारी:अर्जी हनुमान के नाम से प्रसिद्ध इस मंदिर का इतिहास सैकड़ों वर्ष पुराना है. हवनकुंड में विराजमान हनुमान को भक्त अर्जी पूरी होने के बाद नारियल भेंट के रूप में चढ़ाते हैं, जिसे तोड़ा नहीं जाता. इन्हीं नारियल से इस मंदिर ने आकार लिया है इसलिए इस मंदिर को नारियल वाला मंदिर भी कहते हैं. नारियल से बने इस मंदिर में हनुमान जी हवनकुंड के बीचों-बीच विराजमान हैं. मनोकामना वाले भक्त नारियल की तोरण बनाकर इस मंदिर में चढ़ाते हैं. कई बार भगवान के आर्शीवाद के रूप में प्रार्थना करते वक्त नारियल टूटकर भक्तों के हाथों में गिर जाते हैं, जिसे वे अपने पूजा घरों में रखते हैं. यहां छिंदवाड़ा जिले ही नहीं, दूर-दूर से भी अर्जियां लगती हैं. साल भर के आंकड़ों पर यदि नजर डालें तो यहां करीब 50 हजार अर्जियां लगती हैं. इन्हें मंदिर प्रशासन ने संभालकर रखा है.