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सीएम हेल्पलाइन और जनसुनवाई नहीं हो रही कारगर साबित, समाधान के लिए परेशान हो रही जनता - jansunwai

प्रदेश में जनता की परेशानियों का हल निकलाने के लिए आयोजित होने वाली जनसुनवाई और सीएम हेल्पलाइन कारगर साबित नहीं हो रहे हैं. शिकायतों के निराकरण के लिए लोगों को अफसरों और दफ्तरों के चक्कर काटने पड़ रहे हैं. इसके बावजूद लोगों की समस्या का समाधान नहीं निकल रहा है. छिंदवाड़ा की जनता का क्या कहना इन कार्यक्रमों के बारे में, पढ़ें पूरी रिपोर्ट...

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समाधान के लिए परेशान हो रही जनता

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Published : Dec 16, 2020, 10:57 PM IST

छिंदवाड़ा।आम जनता की समस्याओं के निराकरण के लिए सरकार ने सीएम हेल्पलाइन से लेकर जनसुनवाई जैसे कई कार्यक्रम चालू किए हैं. लेकिन जनता को इन कार्यक्रमों का उतना लाभ नहीं मिल पा रहा है, जितने की वो हकदार हैं. छिंदवाड़ा में ETV भारत की टीम मैदान पर उतरी और जानने की कोशिश की, कि आखिर जनता तक इन सरकारी कार्यक्रमों का कितना लाभ पहुंच रहा है. और ये कार्यक्रम समस्याओं के निपटारे में कितने कारगर साबित हो रहे हैं.

समाधान के लिए परेशान हो रही जनता

नहीं निकल रहा समस्याओं का हल

प्रदेश की आम जनता की समस्याओं के सबसे ज्यादा मामले सीएम हेल्पलाइन के टोल फ्री नंबर 181 दर्ज कराए जाते हैं. इसके अलावा जनसुनवाई में भी रहवासी अपनी शिकायतें लेकर पहुंचते हैं. हालांकि, प्रशासन के हर एक विभाग में अलग-अलग जन समस्या निवारण के लिए सुविधाएं दी गई हैं. बावजूद इसके लोगों की परेशानियां हल नहीं हो पा रही हैं.

लोग हो रहे परेशान

जिले के अजनिया गांव में रहने वाले सुधीर चौधरी ने ETV भारत की टीम से बात करते हुए बताया कि उन्होंने तीन महीने पहले नगर निगम में एक शिकायत दर्ज की थी. सूचना के अधिकार(RTI) के तहत उन्होंने कुछ दस्तावेजों की मांग की थी, लेकिन उनकी समस्या का समाधान लेवल वन अधिकारी पर ही जाकर खत्म कर दिया जाता है. उन्हें उचित कारण भी नहीं बताया जाता. इतना ही नहीं 181 (सीएम हेल्पलाइन) में भी वे शिकायत कर चुके हैं, जहां अधिकारी बिना पूछे ही निराकरण लिख देते हैं.

लगी रहती है लोगों की कतारें

कुछ ऐसा ही वाक्या आरटीओ (RTO) पहुंची बबीता जैन ने बताया. उन्होंने बताया कि वे ड्राइविंग लाइसेंस बनवाने RTO पहुंची थीं. पिछले तीन दिनों से वे लगातार दफ्तर के चक्कर काट रही हैं. उन्हें कभी इस खिड़की तो कभी उस खिड़की तक दौड़ाया जाता है, लेकिन उनका काम नहीं हो पा रहा है. वहीं जहां जाओ हर कोई सिर्फ रिश्वत की मांग करता है. इसकी शिकायत भी उन्होंने की लेकिन कोई निराकरण नहीं हुआ.

सूचना के अधिकार (RTI) के तहत भी हो रहे परेशान

पीड़ितों ने बताया कि जब भी समस्या के समाधान के लिए आवेदन करते हैं और उनका समाधान नहीं हो पाता है. तो वे सूचना के अधिकार के तहत जानकारी मांगते हैं. इसके लिए भी उन्हें महीनों लग जाते हैं. कई मामलों में तो गोपनीयता का आधार बताकर मामले को खत्म कर दिया जाता है.

8 महीने बाद फिर से शुरू हुई जनसुनवाई

कोरोना संक्रमण को देखते हुए पिछले 8 महीनों से जनसुनवाई बंद थी. 17 नवंबर से जनसुनवाई एक बार फिर शुरू हो हई है, जो सभी सरकारी दफ्तरों में लोगों की समस्या का समाधान के लिए की जा रही है. कलेक्ट्रेट में जनसुनवाई शुरू होने के बाद कई आवेदकों ने समस्याओं के समाधान के लिए आवेदन दिया था. जिसके बाद अब प्रशासन ने समस्याओं का निराकरण करना शुरू कर दिया है.

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अतिरिक्त कलेक्टर रानी बाटड का कहना है कि लगातार समस्याओं का समाधान किया जाता है. इस बार भी लोगों को कोरोना गाइडलाइन का पालन कराते हुए समस्याओं का समाधान किया जा रहा है. हालांकि इसके अलावा भी आम जनता दूसरे प्लेटफॉर्म के माध्यम से भी अपनी शिकायत दर्ज करा सकती है.

समाधान के इंतजार में बैठे रहते हैं लोग

जिम्मेदारों पर की जाएगी कार्रवाई

आम जनता की समस्याओं के समाधान के लिए जब ETV भारत ने नगर निगम कमिश्नर हिमांशु सिंह से बात की, तो उन्होंने कहा कि शिकायत करने और अपनी बात कहने के लिए सबसे सही माध्यम टोलफ्री नंबर 181 यानि सीएम हेल्पलाइन है. जो सीधे संबंधित विभाग को ट्रांसफर की जाती है. व्यक्ति वहां पर शिकायत कर सकता है. हालांकि लेवल वन पर ही शिकायत का निराकरण हो जाना चाहिए. उसके ऊपर के अधिकारियों के पास अगर शिकायत जाती है तो इसमें निचले स्तर के अधिकारियों की लापरवाही साफ दिखती है. इसके लिए उन्होंने नगरपालिका के कुछ सीएमओ को अल्टीमेटम भी दिया है, जो बिना जांचे ही शिकायतों को आगे फॉरवर्ड कर देते थे. उन्होंने कहा कि आगे भी ऐसे अधिकारियों पर भी कार्रवाई की जाएगी.

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हर सप्ताह समीक्षा के बाद भी सैकड़ों आवेदकों की होती है कतार

आमजन की समस्याओं के लिए सीएम हेल्पलाइन, जनसुनवाई के अलावा सभी विभागों के शिकायत निवारण केंद्र होने के बाद भी कलेक्टर हर सप्ताह समय सीमा की बैठक में समीक्षा करते हैं. लेकिन उसके बाद भी हर मंगलवार को जनसुनवाई में सैकड़ों समस्याओं को लेकर फरियादी कलेक्ट्रेट के चक्कर लगाते नजर आते हैं. इससे समझा जा सकता है कि सरकार का बनाया सिस्टम कितना कारगर साबित हो रहा है.

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