कमलनाथ के राजनैतिक भविष्य पर सवाल, केंद्र की राजनीति में कर सकते हैं वापसी..!
Future of Kamal Nath in Politics: कमलनाथ के राजनैतिक भविष्य पर अब सवाल उठने लगे हैं. राजनीतिक सूत्रों की मानें तो कमलनाथ केंद्र की राजनीति में वापसी कर सकते हैं, पर उनके बेटे नकुलनाथ का क्या..?
छिंदवाड़ा।पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ से मध्य प्रदेश की कमान वापस लेने के बाद अब कमलनाथ के राजनीतिक भविष्य को लेकर सवाल उठने लगे हैं कि आखिर राजनीति में उनकी क्या भूमिका होगी. कमलनाथ की राजनीतिक भविष्य के साथ-साथ उनके बेटे और छिंदवाड़ा सांसद नकुलनाथ के राजनीतिक भविष्य को लेकर भी राजनीतिक गलियारों में चर्चा है.
कमलनाथ अपने बेटे नकुलनाथ के साथ
लोकसभा चुनाव लड़ सकते हैं कमलनाथ:9 बार सांसद रह चुके केंद्र की राजनीति के माहिर खिलाड़ी कमलनाथ फिर से देश की राजनीति में वापस हो सकते हैं. राजनीतिक जानकारों का कहना है कि 2018 में जब कमलनाथ ने मध्य प्रदेश कांग्रेस की कमान संभाली थी तो वह संजीवनी साबित हुए थे और उन्होंने कांग्रेस को सरकार में वापस ले आया था. 5 सालों तक कड़ी मेहनत के दम पर ही मध्य प्रदेश में कांग्रेस काफी मजबूत हुई है, लेकिन जनता तक पैठ नहीं बना पाई. एक बार फिर कमलनाथ केंद्र की राजनीति का रुख कर सकते हैं और वे आने वाले आम चुनाव में फिर से लोकसभा का चुनाव लड़ सकते हैं.
कमलनाथ और नकुलनाथ के राजनैतिक भविष्य पर सवाल
बेटे नकुलनाथ की राजनीति में क्या होगी भूमिका:कमलनाथ ने 2018 में मुख्यमंत्री बनने के बाद छिंदवाड़ा विधानसभा से विधायक का चुनाव लड़ा और अपने बेटे ने नकुलनाथ को छिंदवाड़ा लोकसभा से चुनाव मैदान में उतारा पूरे देश में मोदी लहर के बाद भी खुद राहुल गांधी और ज्योतिरादित्य सिंधिया जैसे बड़े कांग्रेस के दिग्गज चुनाव हार गए, उसके बाद भी कमलनाथ अपनी बेटे नकुलनाथ को छिंदवाड़ा से चुनाव जीताने में कामयाब हुए थे. लेकिन उसके बाद भी नकुलनाथ राजनीति में ज्यादा इंटरेस्टेड नहीं दिखे, अगर कमलनाथ छिंदवाड़ा से लोकसभा चुनाव लड़ते हैं तो हो सकता है उनके बेटे नकुलनाथ को मध्य प्रदेश की राजनीति में सक्रिय कर छिंदवाड़ा विधानसभा से चुनाव मैदान में ला सकते हैं.
छिंदवाड़ा में सेकेंड लाइन लीडरशिप की कमी:छिंदवाड़ा में कांग्रेस की राजनीति कमलनाथ के नाम से ही शुरू होती है और अब उनके बाद उनके बेटे नकुल नाथ ने मैदान में एंट्री की थी, लेकिन इसके बाद छिंदवाड़ा में कांग्रेस की तरफ से दूसरी पीढ़ी के नेताओं की कमी है. कहा जा रहा है कि अगर कमलनाथ छिंदवाड़ा की राजनीति से दूर होते हैं, तो कांग्रेस के लिए काफी मुश्किल होगा.