छिंदवाड़ा।मध्यप्रदेश में बाढ़ ने कोहराम मचाया हुआ है. प्रदेश पहले से ही कोरोना वायरस की चुनौतियों से जूझ रहा है, ऊपर से बाढ़ ने लोगों के लिए नई परेशानी खड़ी कर दी हैं. बाढ़ से प्रदेश के कई जिलों में भारी तबाही मची है. छिंदवाड़ा में लगातार हुई तेज बारिश के बाद माचागोरा बांध और कन्हरगांव डैम के सभी गेट खोलने से निचले इलाके में बसे खैरघाट गांव में अचानक बाढ़ आई. जिसने रहवासियों की गृहस्थी उजाड़ दी. घर में खाने को दाना तक नहीं बचा है. लोगों की फसल मवेशी घर दुकान सब कुछ बाढ़ अपने साथ बहाकर ले गया है. यहां के लोग जैसे तैसे अपना गुजारा कर रहे हैं.
बाढ़ पीड़ितों का कहना है कि कई बार सरकार के सामने पक्के मकान बनाने के लिए सहायता की गुहार लगाई, लेकिन तब किसी ने नहीं सुना और अब जब सब कुछ लुट गया है तो मुआवजे का मरहम लगाया जा रहा है. 28-29 अगस्त को जिले में भयंकर बारिश हुई जिसके बाद माचागोरा बांध में जलस्तर अचानक बढ़ गया, जिसके कारण बांध के सभी गेट खोल दिए गए. जिससे निचले इलाके के गांव में अचानक पानी भर गया. सबसे ज्यादा नुकसान खैरघाट गांव में हुआ. जहां पानी भरता देख लोग सिर्फ अपनी जान बचाकर भागे बाकी सब कुछ बाढ़ में तबाह हो गया.
पहले किसी ने नहीं सुनी फरियाद अब मुआवजे की बात
पीड़ित सरस्वती बाई ने अपना दर्द बयां करते हुए कहा कि उनका परिवार तीन चार पीढ़ियों से बाढ़ का दर्द झेल रहा है, लेकिन अभी तक प्रशासन ने कोई ध्यान नहीं दिया. उनका कहना है कि पहले कई बार पक्के मकान बनाने के लिए प्रशासन के सामने गुहार लगाई, लेकिन किसी ने उनकी नहीं सुनी. उनका कहना है कि अब सरकार उन्हें पक्के मकान बनाकर देने की बात कर रही है. अगर यही काम बाढ़ आने के पहले हो जाता तो शायद आज उनका सब कुछ तबाह नहीं होता.