मध्य प्रदेश

madhya pradesh

ETV Bharat / state

खिलते फूल-'मुरझाता' किसान! सूखकर मिट्टी में मिलते फूलों को देखने की मजबूरी - chhindwara farmers upset

सुबह सूरज की किरणों के साथ खिलते फूल मन को आनंदित कर देते हैं, फूलों से हर किसी का लगाव होता है, हर काम में फूल का उपयोग भी होता है, शादी से लेकर आदर सत्कार तक, मरनी-करनी में भी फूलों का इस्तेमाल किया जाता है, जिस फूल को खिला देख माली का चेहरा खिल जाता था, आज वही माली मुरझाया चेहरा लिये सूखते फूलों को एकटक निहारे जा रहा है.

design photo
डिजाइन फोटो

By

Published : Jun 24, 2021, 2:19 PM IST

छिंदवाड़ा। जिन फूलों को खिलता देख किसान खुशी से फूला नहीं समाता था, अब उन्हीं फूलों को देखकर उसी किसान का दम घुट रहा है क्योंकि अब न तो पहले जैसा बाजार है, न पहले जैसे खरीददार ही रहे, जबकि मंडी तक फूलों को पहुंचाने में किसानों के हाथ-पांव फूल रहे हैं. कोरोना महामारी के दौरान किये गये लॉकडाउन ने फूलों की खेती को पूरी तरह उजाड़ दिया है. फिर भी किसान फूलों को खाद-पानी दिये जा रहे हैं, ताकि फूल खिलते रहें. छिंदवाड़ा में काफी किसान फूलों की खेती करते हैं, जिसे नागपुर सहित महाराष्ट्र की मंडियों में पहुंचाते थे. अब किसान न तो फूलों को मंडियों तक पहुंचा पा रहे हैं, न ही फूलों की पहले जैसी कीमत मिल रही है. मांग कम होने के चलते फूल खेतों में ही मुरझाकर सूखते जा रहे हैं.

फूलों की खेती

कोरोना महामारी से हर वर्ग प्रभावित

कोरोना महामारी की वजह से पिछले करीब दो सालों में हर वर्ग-व्यक्ति को आर्थिक नुकसान झेलना पड़ा है. संक्रमण के चलते कई बार लॉकडाउन-कर्फ्यू जैसी स्थिति बनी रही, जिससे लोगों का व्यवसाय चौपट हो गया. किसान भी इस नुकसान से नहीं बच पाये. खासकर फूल की खेती करने वाले किसानों को ज्यादा नुकसान उठाना पड़ा. लॉकडाउन की वजह से रंग-बिरंगे व खुशबूदार फूलों की भी डिमांड घट गई, जिसके चलते फूल खेतों में ही मुरझाकर मिट्टी में मिल गए क्योंकि किसानों ने उन्हें तोड़ना भी मुनासिब नहीं समझा.

फूलों पर दवा छिड़कता कर्मचारी
पॉली हाउस में काम करते मजदूर

भरण-पोषण के संकट से जूझते दुकानदार

वहीं फूलों की दुकान लगाकर अपने परिवार का भरण-पोषण करने वाले दुकानदारों का हाल भी बेहाल है, लॉकडाउन में दुकानें बंद रहने से पूरा व्यापार चौपट हो गया, करीब दो सालों से आर्थिक संकट से जूझ रहे दुकानदार अब भी परेशान हैं क्योंकि बाजार खुल जाने के बाद भी खरीददार नहीं आ रहे हैं, जो आ भी रहे हैं, वो या तो कम में काम चला रहे हैं या फिर फूलों के बजट में आधे से अधिक कटौती करके आ रहे हैं.

खेतों में खिले फूल
फूल की दुकान

मजदूरों की लागत निकलना भी मुश्किल

पॉलीहाउस में काम करने वाले मजदूरों की लागत नहीं निकल पाई, दुकान में काम करने वालों की मजदूरों की भी लागत नहीं निकल पाई. लॉकडाउन-कोरोना कर्फ्यू का प्रभाव इतना अधिक पड़ा कि मजदूरों के हाल भी बेहाल हो गए, उन लोगों के सामने भी रोजी-रोटी का संकट खड़ा हो गया था, नागपुर में छिंदवाड़ा के पॉलीहाउस से बड़ी मात्रा में फूलों की आवक होती थी, जोकि अब फिर से रास्ता तलाश रहा है.

ABOUT THE AUTHOR

...view details