छिंदवाड़ा। जिन फूलों को खिलता देख किसान खुशी से फूला नहीं समाता था, अब उन्हीं फूलों को देखकर उसी किसान का दम घुट रहा है क्योंकि अब न तो पहले जैसा बाजार है, न पहले जैसे खरीददार ही रहे, जबकि मंडी तक फूलों को पहुंचाने में किसानों के हाथ-पांव फूल रहे हैं. कोरोना महामारी के दौरान किये गये लॉकडाउन ने फूलों की खेती को पूरी तरह उजाड़ दिया है. फिर भी किसान फूलों को खाद-पानी दिये जा रहे हैं, ताकि फूल खिलते रहें. छिंदवाड़ा में काफी किसान फूलों की खेती करते हैं, जिसे नागपुर सहित महाराष्ट्र की मंडियों में पहुंचाते थे. अब किसान न तो फूलों को मंडियों तक पहुंचा पा रहे हैं, न ही फूलों की पहले जैसी कीमत मिल रही है. मांग कम होने के चलते फूल खेतों में ही मुरझाकर सूखते जा रहे हैं.
कोरोना महामारी से हर वर्ग प्रभावित
कोरोना महामारी की वजह से पिछले करीब दो सालों में हर वर्ग-व्यक्ति को आर्थिक नुकसान झेलना पड़ा है. संक्रमण के चलते कई बार लॉकडाउन-कर्फ्यू जैसी स्थिति बनी रही, जिससे लोगों का व्यवसाय चौपट हो गया. किसान भी इस नुकसान से नहीं बच पाये. खासकर फूल की खेती करने वाले किसानों को ज्यादा नुकसान उठाना पड़ा. लॉकडाउन की वजह से रंग-बिरंगे व खुशबूदार फूलों की भी डिमांड घट गई, जिसके चलते फूल खेतों में ही मुरझाकर मिट्टी में मिल गए क्योंकि किसानों ने उन्हें तोड़ना भी मुनासिब नहीं समझा.