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गेंदा फूलों की खेती करने वाले किसान परेशान, प्राकृतिक आपदा और कोरोना ने तोड़ी कमर - flower crop completely ruined

नवरात्रि और दशहरा में गेंदे के फूल की काफी मांग होती है, जिसे देखते हुए जिले के पालामऊ गांव के किसानों ने गेंदे के फूल लगाए हैं, कोरोना वायरस और प्राकृतिक आपदा के चलते फूलों की फसल पूरी तरह से बर्बाद हो गई.

Marigold Flower Cultivation
गेंदा फूलों की खेती

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Published : Oct 26, 2020, 9:49 AM IST

Updated : Oct 26, 2020, 11:31 AM IST

छिंदवाड़ा। गेंदा फूल की खेती करने वाले किसान प्राकृतिक आपदा और कोरोना वायरस संक्रमण के चलते परेशान हैं. नवरात्र और दशहरा में गेंदे के फूल की काफी मांग होती है, जिसे देखते हुए जिले के पालामऊ गांव के किसानों ने गेंदे के फूल लगाए हैं, लेकिन कोरोना वायरस और प्राकृतिक आपदा के चलते फूलों की फसल पूरी तरह से बर्बाद हो गई. किसानों ने बताया कि, मुनाफा तो छोड़िए लागत निकालना भी मुश्किल हो रहा है.

गेंदा फूलों की खेती बर्बाद

किसानों ने बताया कि, जैसे-तैसे उन्होंने कोलकाता से पौधे नागपुर पहुंचे और नागपुर से बस के द्वारा छिंदवाड़ा मंगवाए. किसान को इन पौधों को मंगवाने में कुल 12 हजार रुपए खर्च करने पड़े, जिसके बाद कीटनाशक और दवाइयों का उपयोग कर 6 हजार रुपए खर्च किए, लेकिन प्राकृतिक आपदा के कहर के चलते फूलों की खेती बर्बाद हो गई. किसानों ने कहा कि, मुनाफा तो छोड़िए लागत निकालना भी मुश्किल हो रहा है.

नवरात्र और दशहरा में गेंदे के फूल की मांग काफी बढ़ जाती है और गेंदे के फूल इस समय काफी मात्रा में बिक्री होती थी. दशहरा के दिन लोग गेंदे के फूल के हार बनाकर अपने वाहनों, अस्त्र-शस्त्र, मशीनों पर पूजन कर चढ़ाते हैं. नवरात्र के 9 दिनों तक काफी संख्या में गेंदे के फूलों की काफी मांग रहती है. इस साल गेंदे के फूल की आवक कम होने से गेंदे के भाव भी 80 से 100 रुपए किलो तक छिंदवाड़ा बाजार में बिक रहे हैं, लेकिन फूलों की फसल बर्बाद होने के कारण लागत भी नहीं निकल पाया है.

Last Updated : Oct 26, 2020, 11:31 AM IST

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