छिंदवाड़ा।जिले से किसानों द्वारा फसल कटाई के बाद खेत में बची पराली को रात में जलाने का मामला सामने आया है. इन दिनों गेहूं के फलस की कटाई चल रही है. ऐसे में पराली जलाना आगजनी का कारण भी बन सकता है. बता दें, नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने प्रदूषण नियंत्रण करने के लिए पराली जलाने पर 2017 में प्रतिबंध लगा दिया है. इसके बावजूद भी किसान पराली जलाने से बाज नहीं रहे हैं, हालांकि प्रशासन के डर के चलते अब किसान रातों में अपने खेतों में पराली जलाते नजर आ रहे हैं.
छिंदवाड़ाः प्रतिबंध के बावजूद रात के अंधेरे में किसान जला रहे पराली
छिंदवाड़ा जिले में किसान फसल कटाई के बाद खेत में बचे अवशेष को रात में जला रहे हैं, जबकि नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने इस पर 2017 में प्रतिबंध लगा दिया है. इसके बाद भी किसान पराली जलाने से बाज नहीं आ रहे हैं.
पराली जलाने की समस्या को देखते हुए किसान कल्याण और कृषि विकास छिंदवाड़ा के उपसंचालक जेआर हेड़ाऊ ने जिले में किसानों से कटाई के बाद खेतों में पराली और फसल के अवशेष को नहीं जलाने की अपील की है. साथ ही कहा है कि, फसल कटाई के बाद खेतों में रोटावेटर चलाकर नरवाई को मिट्टी में मिला दें, जिससे भूमि में जैविक तत्व की वृद्धि होगी.
इसके बावजूद भी किसान मानने को तैयार नहीं हैं, प्रशासन जब दिन में पराली जलाते हुए किसानों पर शिकंजा कस रहा है तो, अब किसान रातों में अपने पराली जला रहे हैं.