छिंदवाड़ा। 2 साल पहले जब कमलनाथ ने प्रदेश के मुख्यमंत्री के तौर पर शपथ ली थी, तो छिंदवाड़ा में विकास के सौगातों की झड़ी लग गई थी. हालत यह थी कि कमलनाथ को छिंदवाड़ा के सीएम होने का आरोप लगने लगा था, इन आरोपों के पीछे वजह थी कमलनाथ के सीएम बनते ही छिंदवाड़ा के लिए करीब 12 हजार करोड़ रुपए के विकास काम शुरू किए गए थे, लेकिन सरकार बदलते ही विकास कामों में अचानक रुकावट आ गई, और छिंदवाड़ा के बजट में बजट की कटौती की जाने लगी.
जिले में 12 हजार करोड़ रुपए के विकास कामों की हुई थी शुरुआतकमलनाथ ने छिंदवाड़ा विकास मॉडल के नाम पर चुनाव लड़कर सरकार बनाई थी और छिंदवाड़ा में लगातार विकास के लिए बजट दे रहे थे इसी के चलते 12 हजार करोड़ रुपए के काम छिंदवाड़ा के लिए दिए थे. जिसमें 480 करोड रुपए छिंदवाड़ा यूनिवर्सिटी, मेडिकल कॉलेज में सुपरस्पेशलिटी हॉस्पिटल के लिए 600 करोड़ रुपए, एयरपोर्ट का प्रस्तावित प्रोजेक्ट, लहगडुआ में इंडस्ट्री एरिया मैं टैक्सटाइल्स पार्क, अर्जुनबाड़ी में सैंट्रल जेल निर्माण, कन्हान सिंचाई कॉम्प्लेक्स जैसे कई प्रोजेक्ट थे. मेडिकल कॉलेज का निर्माण तो हो चुका है, लेकिन इसमें अभी विस्तारीकरण के काम बाकी है. एयरपोर्ट का प्रस्ताव भी ठंडे बस्ते में जा चुका है. वहीं केंद्रीय जेल और टैक्सटाइल पार्क जैसे प्रोजेक्ट भी अटके हैं.
छिंदवाड़ा के विकास के नाम पर गिर गई थी कमलनाथ की सरकारछिंदवाड़ा जिले का लगातार हो रहे विकास और कमलनाथ द्वारा दिए जा रहे बजट को लेकर उनकी ही पार्टी के कई विधायक नाराज थे. जिसके चलते उनकी सरकार भी चली गई,बेंगलुरु में होटल में रहने के दौरान सिंधिया समर्थक कई विधायकों ने वीडियो वायरल कर बताया था कि कमलनाथ सिर्फ छिंदवाड़ा के मुख्यमंत्री बनकर रह गए हैं और वहीं पर विकास कार्यों में खर्च कर रहे हैं. इसके अलावा दूसरे विधायकों के क्षेत्र में विकास के नाम पर उन्होंने कुछ नहीं किया.
लोन लेकर शुरू की गई छिंदवाड़ा यूनिवर्सिटी
तत्कालीन मुख्यमंत्री कमलनाथ और छिंदवाड़ा सांसद नकुलनाथ छिंदवाड़ा को मेडिकल और एजुकेशन हब बनाना चाह रहे थे, जिसके चलते 2 साल पहले छिंदवाड़ा विश्वविद्यालय की नींव रखी गई और सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल का निर्माण भी शुरू हुआ. यूनिवर्सिटी की शुरुआत के साथ इस बात की उम्मीद लगाई जा रही थी कि छिंदवाड़ा विश्वविद्यालय से ना सिर्फ छिंदवाड़ा और आसपास के जिलों के छात्रों को परेशान नहीं होना पड़ेगा. साथ ही विश्वविद्यालय वित्तीय प्रबंधन भी अपने स्तर पर कर सकेगा, लेकिन जल्दबाजी में शुरू किए गए काम के कारण हालात ये हैं कि विश्वविद्यालय प्रबंधन रकम के लिए अब मोहताज है. विश्वविद्यालय के लिए उच्च शिक्षा विभाग ने 1 करोड़ की रकम उधार में दी थी, इसके बाद 2 करोड़ रुपए और जारी किए गए ,लेकिन 2 करोड़ 40 लाख रुपए अभी तक खर्च हो चुके हैं और एक करोड़ का लोन भी चुकाया गया, वर्तमान में विश्व विद्यालय प्रबंधन ने उच्च शिक्षा विभाग को फंड के लिए पत्र लिखा है. गौरतलब है कि छिंदवाड़ा विश्वविद्यालय का निर्माण जिला मुख्यालय से 13 किलोमीटर दूर जमुनिया के पास हो रहा है निर्माण और अधोसंरचना के लिए 480 करोड़ रुपए स्वीकृत किए गए थे. लेकिन वर्तमान में विश्वविद्यालय पीजी कॉलेज की लाइब्रेरी में संचालित हो रहा है. यहां तक कि विश्वविद्यालय के पास स्वयं का फर्नीचर भी नहीं है वह भी पीजी कॉलेज प्रबंधन का है. वर्तमान परिस्थितियों में विश्वविद्यालय में सामान्य खर्च के लिए भी समस्या बनी हुई है.
छिंदवाड़ा का विकास बीजेपी सरकार की देन
छिंदवाड़ा के साथ कांग्रेस द्वारा लगाए गए भेदभाव के आरोप पर बीजेपी के नगर उपाध्यक्ष का कहना है कि छिंदवाड़ा में जो विकास है. वह 15 साल की शिवराज सरकार की देन है. अगर कमलनाथ और उनके बेटे सांसद नकुलनाथ ने छिंदवाड़ा में कोई विकास किया है, तो अपने विधायक निधि और सांसद निधि का हिसाब दे.
सरकार बदलते ही प्राथमिकताओं से हट गया छिंदवाड़ा जिला
प्रदेश में छिंदवाड़ा से पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ के बेटे नकुलनाथ एकलौते कांग्रेस सांसद हैं, डेढ़ साल तक प्रदेश में कांग्रेस की सरकार रही पिता कमलनाथ प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे लिहाजा जिले में सांसद की पहल से कई प्रोजेक्ट शुरू हुए, वहीं दूसरी ओर अब प्रदेश में भाजपा की सरकार बन गई है, इसलिए छिंदवाड़ा जिला पहले की तरह प्राथमिकता में शामिल नहीं रहा. लेकिन बीते डेढ़ साल में 12 हजार करोड़ के प्रोजेक्ट छिंदवाड़ा के लिए स्वीकृत हुए थे. जिसमें से सिर्फ मेडिकल कॉलेज बनकर तैयार हुआ, उसके बाद सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल छिंदवाड़ा विश्वविद्यालय कन्हान सिंचाई प्रोजेक्ट जैसे कई बजट के अभाव में अटके हैं.