छिंदवाड़ा।बांध प्रभावित किसानों ने रोष व्यक्त करते हुए कहा कि तीनों तरफ पानी है वह एक तरफ पावर प्लांट बनाने के लिए अडानी ने जमीन ले रखी है, जबकि किसानों के लिए ना सड़क है ना पानी है और ना ही बिजली है. अगर सरकार किसानों की मांगे नहीं सुनती है तो वह जल सत्याग्रह करेंगे.
नारकीय जीवन जी रहे हैं किसान :किसानों ने बताया कि हम सभी जिला छिदवाड़ा के विकासखंड चौरई अंतर्गत माचागोरा बाध से प्रभावित हैं. जब से बांध बनाया गया है, शासन व प्रशासन यहां की मूलभूत समस्या पर ध्यान नहीं दे रहा है. विभाग द्वारा जानबूझकर पानी के किनारे बसाया गया है, जो गलत है. किसी प्रकार हम लोग अपना जीवनयापन कर रहे हैं. रोजगार के साधन का अभाव है. भरण पोषण का कोई माध्यम नहीं है. कीड़ा मकोड़ा की तरह पुनर्वास में लोग रहे हैं. डैम के पानी से निकलकर जहरीले सर्प पुनर्वास में बने मकानों में घुस रहे हैं. बचाव का कोई साधन नहीं है.
कई मांगें अभी तक अधूरी :किसानों ने कहा कि प्रतिवर्ष 10 से 15 लोगों की डैम के पानी से डूबने से एवं सर्पदंश से मौत हो रही है. विभाग सुध नहीं ले रहा है. पुनर्वास करते समय विभाग एवं जिला कलेक्टर द्वारा परिवार के एक आदमी को शासकीय नौकरी देने की बात कही गई थी. वह भी आज तक पूर्ण नहीं की गई. पुनर्वास धनोरा में पंचायत भवन एवं माध्यमिक शाला भवन आज तक नहीं बनाया गया. ना ही देवी- देवताओं की स्थान बनाए गए और चार गुना मुआवजा देने की बात कही गई थी. साथ ही सरदार सरोवर बांध में जो अतिरिक्त पैकेज दिया गया है, उसी की तर्ज पर यहां भी देने की बात कही गई थी
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किसानों की ये हैं मांगें :सरदार सरोवर बांध में जो पुनर्वास पैकेज मिला है, वह पैकेज 900 करोड़ माचागोरा बांध के प्रभावित किसानों को भी दिया जाए. अगर पुनर्वास में शासन - प्रशासन कोई सुविधा नहीं देना चाहता तो चार गुना मुआवजा के साथ किसान की बची जमीन का अधिग्रहण कर एवं किसान के बने मकान का मुआवजा देकर शहर के बसाहट किया जाए. प्रभावित परिवार के भरण- पोषण हेतु प्रत्येक परिवार को 5 एकड़ जमीन का पट्टा दिया जाए. (Dam affected appealed to collector) (If not give basic facilities then satyagraha)