छिंदवाड़ा। जिले के पांढुर्णा को भले ही संतरा नगरी का दर्जा मिला है, लेकिन अब यहां नीबू की पैदावार भी ठीक-ठाक मात्रा में की जा रही है. कृषि विभाग के मुताबिक पांढुर्णा में संतरे के साथ नींबू के लिए वातावरण अनुकूल है. इसलिए ये इस क्षेत्र में नीबू की बंपर पैदावार हो रही है.
बिना बीज का नीबू
पांढुर्णा के एक किसान ने शाही शरबती की खेती शुरू की है. नीबू के पेड़ों ने महज एक साल में ही फल देना शुरू कर दिया है. इस नीबू की खास बात ये है कि इस नींबू में एक भी बीज नहीं है.नीबू रस से लबरेज है.
एक पेड़ में 200 से ज्यादा नीबू
नीबू की खेती से किसान अच्छा मुनाफा कमा रहे हैं. एक नीबू के पड़े में 200 से ज्यादा फल लगे हैं. आलम ये है कि फलों के वजन से पेड़ झुक गए हैं. तिगांव के किसान मनीष डोंगरे बताते हैं कि इस किस्म के नीबू की पैदावार सबसे ज्यादा महाराष्ट्र के नासिक जिले के मनमाड और मालेगांव में होती है. लेकिन अब यहां भी इसकी खेती की जा रही है.
अनार से नुकसान नीबू से भरपाई
किसान रवि चौधरी ने 12 एकड़ में अनार की खेती की थी. लेकिन अनार की खेती के लिए पांढुर्णा में वातावरण अनुकुल नहीं होने से 12 लाख का नुकसान हुआ. फिर उन्होंने संतरे के साथ-साथ रसीले नीबू की खेती शुरू कर दी. अब वे फायदे की खेती कर रहे हैं.
संतरा और नीबू के लिए वातावरण अनुकूल
बता दें पांढुर्णा को संतरा उत्पादन क्षेत्र के लिए जाना जाता है. करीब 13 हजार हेक्टेयर में संतरे का रकबा है. लेकिन अब संतरा के साथ नीबू की खेती की तरफ भी किसानों का रुझान बढ़ रहा है. इसके लिए भी यहां का मौसम ठीक है.