छिंदवाड़ा।साल 2023 को लोग अलविदा कह रहे हैं. हर बार की तरह हर साल कुछ ना कुछ छोटी बड़ी तो कुछ खट्टी-मीठीं यादें छोड़कर जाता है. 2023 में छिंदवाड़ा की बात करें तो यहां चुनावी वर्ष होने से पूरे साल भर राजनीतिक उठापठक चलती रही. कमलनाथ के गढ़ को ध्वस्त करने के लिए भाजपा ने ऐड़ी चोटी का जोर लगाया लेकिन नतीजा शून्य रहा. छिंदवाड़ा को तोड़कर पांढुर्ना नया जिला जरूर बनाया गया लेकिन बीजेपी को इससे भी कोई फायदा नहीं हुआ.
पूरे साल राजनीतिक चहलकदमी:साल 2023 जिले को कोई बड़ी उपलब्धि देकर नहीं गया. चुनावी वर्ष होने की
वजह से पूरे साल राजनीतिक चहलकदमी बनी रही. भाजपा ने साल की शुरूआत में स्वाभिमान यात्रा तो चुनाव से कुछ माह पहले जन आशीर्वाद यात्रा निकाली, तो जवाब में कांग्रेस ने भी जन आक्रोश रैली की थी. बीजेपी की जन आशीर्वाद यात्रा में पूनम महाजन, प्रहलाद पटेल, एल मुरूगन सहित प्रदेश भाजपा के बड़े नेताओं ने हिस्सा लिया. कांग्रेस की जनआक्रोश रैली में पूर्व केंद्रीय मंत्री सुरेश पचौरी शामिल हुए. यात्राओं के साथ ही चुनावी सरगर्मियां भी बढ़ती गई.
कमलनाथ ने मारी बाजी:केंद्रीय नेतृत्व की मंशा अनुसार भाजपा कमलनाथ का गढ़ ढहाने की कोशिशों में लगी रही, लेकिन असफल रही. केंद्रीय और प्रदेश नेतृत्व ने गढ़ ढहाने के लिए संसाधन तो पर्याप्त दिए लेकिन भाजपा ने गुटबाजी पर पर्याप्त काम नहीं किया. यही चूक नतीजों को अनुकूल नहीं बना सकी. यहां भाजपा के भीतर गुटबाजी लंबे समय से बनी हुई है. वर्ष 2022 में निकाय चुनाव इसी की भेंट चढ़ गए. जबकि 2023 में गुटबाजी कम होने के बजाए और बढ़ गई. हालात ऐसे कि अब सड़क पर नेता एक दूसरे को नीचा दिखाने की कोशिश कर रहे हैं. थानों तक शिकायतें पहुंच रही हैं.