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Chhindwara Vegetable Farming: लागत न निकलने से किसान परेशान,सब्जी की खेती से हुआ मोह भंग - सब्जी की खेती से हुआ मोह भंग

लगातार सब्जियों के दाम में गिरावट आने से किसानों का सब्जियों की खेती से मन हट गया है. वह अब प्रदेश के मुखिया शिवराज से खेती के अन्य उत्पादों की तरह समर्थन मूल्य निर्धारित करने की मांग कर रहे हैं. टमाटर का मूल्य 1 रुपए पहुंचने के कारण किसानों ने उसे खेतों में सड़ने और जानवरों के खाने के लिए छोड़ दिया है.

Chhindwara Vegetable Farming
लागत न निकलने से किसान परेशान

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Published : Jan 26, 2023, 10:49 PM IST

लागत न निकलने से किसान परेशान

छिंदवाड़ा। जिले में कई जगह किसान सब्जियों की खेती करते हैं. सब्जियों के उचित दाम नहीं मिल पाने के कारण सब्जियों की खेती करने से किसानों का मोहभंग हो रहा है. इतनी मेहनत करने के बावजूद भी मुनाफा तो छोड़िए की लागत निकालना भी मुश्किल हो गया है. टमाटर की खेती करने वाले किसानों की इतनी खराब स्थिति है कि वर्तमान में टमाटर का मूल्य 1 रुपए प्रति किलो तक पहुंचने के कारण किसान खून के आंसू रोने को मजबूर हो गया है. किसानों ने खेतों से टमाटर तोड़कर खेत में ही फेंक रहे हैं नहीं तो जानवरों को खेत में छोड़ दिया जाता है.

CM से समर्थन मूल्य को लेकर लगा रहे गुहारः सब्जियों को लगाने वाले किसान अब मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की ओर उम्मीद भरी निगाहों से देख रहे हैं. वाह चाह रहे हैं कि जिस प्रकार गेहूं, चना, चावल अन्य चीजों का समर्थन मूल्य तय किया जाता है उसी प्रकार सब्जियों का भी एक निश्चित समर्थन मूल्य तय कर दिया जाए. जिससे किसान को नुकसान न उठाना पड़े.

Tomato Farming MP टमाटर के भाव से किसान हो रहे लाल! लागत तो दूर तुड़वाई का भी नहीं निकल रहा पैसा

कर्जा चुकाना हो जाता है मुश्किलः सब्जियों की खेती करने वाले किसान गोविंद मुनि ने बताया कि किसान कर्जा लेकर जैसे तैसे खून पसीना बहाकर खेतों में सब्जियां लगाते हैं. ऐसे में सब्जियों के दाम नहीं मिलते तब उसकी मेहनत का पैसा तो छोड़िए लागत भी नहीं निकल पाती है. जिसके कारण किसान कर्जा चुकाने में समर्थ नहीं हो पाता. मजबूरन वह आत्महत्या करने की ओर बढ़ने लगता है. इस साल सब्जियों की फसल के दामों में आई गिरावट के कारण किसान खेतों में ही खराब होने के लिए टमाटर को छोड़ दे रहे हैं. कुछ अन्य सब्जियों के दाम भी लागत से कम मिल पा रहे हैं. किसान का कहना है कि वह पहले ही लागत और मेहनत कर बर्बाद हो चुके हैं. ऐसे में अब तुड़वाई का पैसा देकर और क्यों और बर्बाद हों.

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