छिंदवाड़ा/उज्जैन।जिले की जनजातीय विभाग की लापरवाही का एक मामला सामने आया है, जिसमें जिला मुख्यालय बस स्टैंड के पास स्थित अनुसूचित जनजाति बालक आश्रम जो लगभग 5 सालों से बंद है वहां 5 शिक्षक और 1 अधीक्षक तो मौजूद हैं, लेकिन एक भी बच्चा नजर नहीं आता. शिक्षकों को वेतन लगातार मिल रहा है.
बालक आश्रम में नहीं मौजूद बच्चे: जनजातीय विभाग छिंदवाड़ा का ये कारनामा कई सालों से चला आ रहा है. यहां स्थित बालक आश्रम से कई सालों से बच्चों नदारद हैं, लेकिन यहां बच्चे नहीं रहते हुए भी 5 शिक्षक पदस्थ हैं. शिक्षक को फ्री का हर महीने विभाग से वेतन मिल रहा है. कई बालक आश्रम ऐसे हैं जहां पर एक भी शिक्षक पदस्थ नहीं हैं, ऐसे स्थानों पर शिक्षकों को नहीं भेजा जा रहा सिर्फ संविदा अतिथि के भरोसे काम चल रहा है. इस मुद्दे को लेकर जब सत्येंद्र सिंह मरकाम, सहायक आयुक्त से बात की गई, तो उन्होंने कहा कि आपने मामला संज्ञान में लाया है. जल्द ही ऐसे लोगों को यहां से हटाकर वहीं बालक आश्रम में अटैच किया जाएगा जहां बच्चे मौजूद हैं. खाली बालक आश्रम से सारे शिक्षकों को अलग अलग जगहों पर भेजा जाएगा.