छिंदवाड़ा। कॉर्न सिटी का लाल काला मक्का कुपोषण से भी लड़ेगा और किसानों को भरपूर फायदा भी पहुंचाएगा. देश में पहली बार छिंदवाड़ा के कृषि अनुसंधान केंद्र में लाल काला यानी रंगीन मक्के पर रिसर्च किया गया है. खासबात यह है कि इसमें भरपूर मात्रा में जिंक कॉपर और आयरन है. (Chhindwara Red Black Corn) अभी तक पीला और सफेद मक्का बाजारों में उपलब्ध होता था, लेकिन छिंदवाड़ा में लाल काला मक्का की भी पैदावार की जाएगी .
मक्के की वैरायटी:आदिवासी अंचल में सालों से उगाई जा रही देशी मक्का किस्मों पर शोध कर जिले के कृषि वैज्ञानिकों ने मक्का की एक नई प्रजाति जवाहर मक्का 1014 विकसित की है. मक्का की इस प्रजाति में आयरन, कॉपर और जिंक की मात्रा अधिक है, जो कुपोषण से लड़ने में कारगर साबित होगी. इसका उपयोग स्वास्थ्यवर्धक उत्पादों में हो सकेगा, मध्यप्रदेश में विकसित मक्का की यह पहली किस्म है जो न्यूट्रीरिच या बायोफोर्टिफाइड है.
कई किस्मों से नई प्रजाति:आमतौर पर मक्का के दानों का रंग पीला होता है, इस नई प्रजाति का रंग लाल, काला कत्थई है. जवाहरलाल नेहरु कृषि विश्व विद्यालय जबलपुर से संबद्ध आंचलिक कृषि अनुसंधान में जारी मक्का अनुसंधान परियोजना की टीम ने जिले के अलग-अलग हिस्सों से देशी किस्म की प्रजातियों का संग्रहण कर कई साल तक शोध किया. (Chhindwara Corn) विश्वविद्यालय के तत्कालीन कुलपति डॉ. पीके बिसेन और संचालक अनुसंधान सेवा के मार्गदर्शन में आंचलिक अनुसंधान केन्द्र के सह संचालक डॉ. विजय पराडकर और डॉ. गौरव महाजन ने अलग-अलग बिंदुओं पर शोध किया. शोध पूरा होने पर किसान कल्याण एवं कृषि विकास विभाग के अपर मुख्य सचिव अजीत केसरी ने मक्का की इस नई प्रजाति को किसानों के लिए समर्पित किया, यह प्रजाति संपूर्ण मध्यप्रदेश के लिए अनुशंसित की गई है.