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Published : Apr 28, 2023, 4:38 PM IST

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छिंदवाड़ा के छात्र पढ़ सकेंगे फ्रेंच और जर्मन भाषा, दिल्ली की संस्था के साथ हुआ करार

छिंदवाड़ा के शासकीय स्वशासी पीजी महाविद्यालय और नई दिल्ली की फ्यूजन अकादमी के बीच एमओयू साइन हुआ है. इसके जरिए छात्र जर्मन और फ्रेंच भाषा के साथ-साथ लोक कला पर आधारित पेटिंग सीख सकेंगे.

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छिंदवाड़ा कॉलेज का दिल्ली की संस्था के साथ हुआ एमओयू साइन

छिंदवाड़ा। शासकीय स्वशासी पीजी कॉलेज में पढ़ने वाले छात्र अब जर्मन और फ्रेंच भाषा के साथ लोक कला पर आधारित पेंटिंग भी सीख सकेंगे. इसके लिए शासकीय स्वशासी पीजी महाविद्यालय छिंदवाड़ा के स्वामी विवेकानंद करियर मार्गदर्शन प्रकोष्ठ और नई दिल्ली की फ्यूजन अकादमी के बीच एमओयू साइन किया गया है. इससे छात्रों का न केवल व्यक्तित्व विकास होगा, बल्कि करियर की संभावनाएं भी खुलेंगी.

विदेशी भाषा में स्वरोजगार के अवसर उपलब्धःइसको लेकर प्राचार्य डॉ. पीआर चंदेलकर और स्वामी विवेकानंद करियर गाइडेंस योजना के संभागीय नोडल अधिकारी डॉ. पीएन सनेसर ने बताया कि "भारतीय लोक कलाओं पर आधारित पेंटिंग और फ्रेंच, जर्मन जैसी विदेशी भाषा में वर्तमान समय में स्वरोजगार के विभिन्न अवसर उपलब्ध हैं. इसी को ध्यान में रखते हुए नई दिल्ली की फ्यूजन अकादमी के साथ कॉलेज द्वारा एमओयू किया गया है, जिसके अंतर्गत लोक कला के क्षेत्र में रुचि रखने वाले विद्यार्थियों के लिए प्रशिक्षण का आयोजन कर उन्हें स्वरोजगार के अवसर उपलब्ध कराए जायेंगे." इस अवसर पर जिला नोडल अधिकारी डॉ.जगमोहन पुशाम, करियर गाइडेंस सेल से डॉ. टीकमणी पटवारी, महेंद्र साहू और डॉ. निधि डोडनी उपस्थित थे.

भारतीय लोक कला पर आधारित पेंटिंग सीखेंगे छात्रः संस्था के द्वारा कॉलेज में पढ़ने वाले युवाओं को भारतीय लोक कला पर आधारित पेंटिंग और जर्मन व फ्रेंच भाषा भी निःशुल्क सिखाई जाएगी. यह प्रशिक्षण भौतिक व वर्चुअल दोनों ही तरह से होगा. स्टूडेंट्स अपनी रुचि समय प्रबंधन के मुताबिक इसमें हिस्सेदार बन सकेंगे. पीजी कॉलेज से इसकी शुरुआत की जा रही है. इस पर रिस्पांस देखने के बाद जिले के अन्य कॉलेजों में भी इसे शुरू किया जाएगा.

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गाइड के रूप में पर्यटन के क्षेत्र में बढ़ेगा रोजगारःजिले में पर्यटन के क्षेत्र में असीम संभावनाएं हैं. तामिया, पातालकोट, पचमढ़ी, पेंच नेशनल पार्क, सतपुड़ा नेशनल पार्क जैसी जगहें पर्यटकों से हमेशा भरी रहती हैं. ऐसे में विदेशी भाषाओं की समझ जिले के ग्रामीण युवाओं के लिए करियर की असीम संभावनाएं बनाती हैं. इसके साथ हिंदी व अंग्रेजी के अलावा अन्य विदेशी भाषाओं के ज्ञान से जिले के युवाओं की मल्टीनेशनल कंपनियों में पूछ परख बढ़ जाएगी, जिससे रोजगार के रास्ते आसान हो जाएंगे.

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