छिन्दवाड़ा।एक साल के लिए छिंदवाड़ा लोकसभा सीट से सांसद रह चुकी पूर्व सीएम कमलनाथ की पत्नी अलका नाथ का 24 नवंबर को जन्मदिन है. इस मौके पर उनके बेटे छिंदवाड़ा सांसद नकुलनाथ ने X पर एक तस्वीर शेयर करते हुए लिखा है "क्या लिखूं मां के बारे में जब हम खुद ही उनकी लिखावट हैं."
एक साल के लिए छिंदवाड़ा लोकसभा की रह चुकी हैं सांसद:पूर्व सीएम कमलनाथ की पत्नी और छिंदवाड़ा सांसद नकुलनाथ की माँ अलकानाथ 1996 के लोकसभा चुनाव में छिंदवाड़ा से जीत कर 11वीं लोकसभा की संसद सदस्य बनी थी. हालांकि, वे महज एक साल ही छिंदवाड़ा लोकसभा से अपना प्रतिनिधित्व कर पाई और उन्होंने अपना इस्तीफा दे दिया था उसके बाद उनके पति कमलनाथ ने उपचुनाव लड़ा था.
अलका नाथ के इस्तीफा के बाद हुए उपचुनाव में हार गए थे कमलनाथ:इसके बाद1996 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस ने छिंदवाड़ा से कमलनाथ की पत्नी अलका नाथ को मैदान में उतारा था. अलका नाथ भारतीय जनता पार्टी के चौधरी चंद्रभान सिंह को चुनाव हराकर लोकसभा की सदस्य बनी थी. हालांकि, एक साल के भीतर ही कमलनाथ ने उनका इस्तीफा दिलवा दिया.
छिंदवाड़ा की एक साल की सांसद, नकुलनाथ ने फोटो शेयर कर लिखा- मैं आपकी लिखावट हूं, लोग दे रहे बधाइयां - नकुलनाथ ने लिखा मां अलकानाथ के लिए पोस्ट
अपनी मां के जन्मदिन पर छिंदवाड़ा सांसद नकुलनाथ ने X पर एक तस्वीर शेयर करते हुए लिखा है कि "क्या लिखूं मां के बारे में जब हम खुद ही उनकी लिखावट हैं". इसके बाद छिंदवाड़ा की पूर्व सांसद अलका नाथ के जन्मदिन पर लोग सोशल मीडिया पर लगातार बधाई हो दे रहे हैं।
By ETV Bharat Madhya Pradesh Team
Published : Nov 24, 2023, 10:28 PM IST
1997 में हुए लोकसभा के उपचुनाव में भारतीय जनता पार्टी ने मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री सुंदरलाल पटवा को छिंदवाड़ा से कमलनाथ के विरोध में चुनाव लड़ाया. इस चुनाव में कमलनाथ सुंदरलाल पटवा से हार गए थे. यही वो एक चुनाव था जब कमलनाथ छिंदवाड़ा से हारे थे.
2019 में बेटे नकुलनाथ के प्रचार में आई थी पूर्व सांसद अलकनाथ:सामाजिक कार्यकर्ता और पूर्व सांसद अलका नाथ इस्तीफे के बाद छिंदवाड़ा जिले में राजनीतिक रूप से ज्यादा सक्रिय नजर नहीं आईं. हालांकि कई धार्मिक कार्यक्रम और दूसरे मौके पर छिंदवाड़ा में आना जाना उनका लगा रहता था. 2019 के लोकसभा चुनाव में जब पहली बार बेटे नकुल नाथ ने राजनीति में कदम रखा था, उस दौरान वे नकुलनाथ का प्रचार करने छिंदवाड़ा आई थीं. उन्होंने खुद को देवकी बताते हुए छिंदवाड़ा की जनता को यशोदा बताकर नकुल नाथ को छिन्दवाड़ा में सौंपने का जिक्र किया था.