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कभी 2 सौ रुपये बिकने वाला टमाटर अब मिट्टी के भाव भी नहीं, छिंदवाड़ा में देखें बर्बादी का आलम

एक समय 200 रुपए किलो बिकने वाले टमाटर को अब लोग फ्री में भी लेने को तैयार नहीं हैं. बेमौसम बारिश के दौरान पड़े पाल के कारण टमाटर की फसल में ऐसा रोग लगा कि अब किसान सड़क किनारे टमाटर की फसल फेंकने को मजबूर हैं. छिंदवाड़ा जिले में किसान खेतों में ही या फिर सड़क किनारे टमाटर की फसल नष्ट कर रहे हैं. Farmers destroying tomato crops

Farmers destroying tomato crops
टमाटर अब मिट्टी के भाव भी नहीं छिंदवाड़ा में बर्बादी का आलम

By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Dec 21, 2023, 4:19 PM IST

टमाटर अब मिट्टी के भाव भी नहीं छिंदवाड़ा में बर्बादी का आलम

छिंदवाड़ा।जिले में बिना मौसम बारिश के बाद जमकर पाला पड़ा. जिस वजह से टमाटर की फसल झुलस गई. इसे झुलसा रोग भी कहते हैं. इसकी वजह से टमाटर में दाग हो गया और बाजार में उसकी डिमांड कम हो गई है. बाजार में टमाटर के सही दाम नहीं मिलने की वजह से किसान अब अपने खेतों से टमाटर तोड़कर सड़क के किनारे फेंक रहे हैं ताकि खेती को खाली किया जा सके और दूसरी फसल लगाकर भरपाई कर सकें. किसान टमाटर को खेतों से तोड़कर सड़क के किनारे फेंक रहे हैं. Farmers destroying tomato crops

एक एकड़ में एक लाख की लागत :छिंदवाड़ा के बावई गांव में किसानों ने बताया कि अकेले इस छोटे से गांव में करीब 100 एकड़ जमीन में टमाटर की फसल लगाई गई थी. एक एकड़ में करीब 1 लाख रुपए की लागत आती है. इस हिसाब से सिर्फ एक छोटे से गांव में करोड़ों रुपए की टमाटर की फसल बर्बाद हो गई है. इसी तरह छिंदवाड़ा जिले में लगभग ढाई हजार हेक्टेयर जमीन में टमाटर की फसल लगाई गई है. किसानों ने बताया कि जब यही टमाटर के दाम महंगे हो जाते हैं तो देशभर में हंगामा होता है. अब किसान टमाटर तोड़कर सड़कों में फेंक रहा है, जिसका लागत मूल्य तो दूर की बात लेबर चार्ज भी निकलना मुश्किल हो रहा है. Farmers destroying tomato crops

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कोई नहीं सुनवाई करने वाला :किसानों का कहना है कि ऐसे समय में सरकार उनकी तरफ ध्यान नहीं दे रही है. थोक बाजार में टमाटर के दाम ₹1 किलो तक हैं. ऐसे में अगर किसान मंडी तक अपनी फसल लेकर पहुंचें तो उन्हें अपने जेब से खर्च करना पड़ेगा. इसलिए किसान टमाटर तोड़कर फेंक रहा है. ताकि दूसरी फसल खेतों में लगा सकें. किसानों का कहना है कि अगर जिले में कोई भी प्रोसेसिंग यूनिट होती तो यही टमाटर सीधा फैक्ट्री में जाता और उससे दूसरे उत्पाद बन सकते थे, लेकिन कोई भी जनप्रतिनिधि से लेकर प्रशासन इस ओर पहल नहीं करता. Farmers destroying tomato crops

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