छिंदवाड़ा। खरीफ फसल के अंतर्गत क्षेत्र में पठार, ढलान, पथरीली जमीनों और बर्रा में अमरवाड़ा विधानसभा क्षेत्र के अल्प भूमि धारी किसान मक्के की खेती करते हैं. साल 2018 में हजारों किसान ने पंजीयन कराया और भावांतर राशि प्राप्त की, लेकिन ये राशि 500 रुपये घोषित होने के बाद मात्र ढाई सौ रुपए मिली है. किसानों ने मक्का का समर्थन मूल्य घोषित करने की मांग की है.
किसानों सीएम को याद दिलाया वादा
अमरवाड़ा विकासखंड के किसानों का कहना है कि प्रदेश सरकार ने साल 2019 में मक्का का समर्थन मूल्य (भावांतर पूर्व के) पर पंजीयन के आदेश जारी नहीं किए जाने से किसानों में भारी निराशा है, क्योंकि सरकार ने मक्का की फसल के बारे में कोई नीति का ऐलान अभी तक नहीं किया है.
किसान जगदीश सोनी ने बताया कि किसानों में नीति नहीं आने से घबराहट का माहौल है, किसानों की समस्या ये है कि मक्के की फसल का वाजिब दाम नहीं मिलने से काफी नुकसान उठान पड़ेगा. किसानों को कृषि विभाग से जून-जुलाई में बीज बांटा जा रहा था, तब बताया गया था कि सरकार ने भावांतर योजना में सोयाबीन, मूंगफली, मक्का, मूंग, उड़द और तूअर को भावांतर योजना में शामिल किया गया है.
भावांतर की सफलता को देखते हुए केंद्र सरकार ने इस बजट में इसी से मिलती-जुलती योजना का ऐलान भी किया है, इसे पूरे देश में लागू करने का फैसला लिया गया. मध्य प्रदेश सरकार ने मंदसौर में हुए बड़े आंदोलन के बाद कमलनाथ सरकार ने भी उपज का उचित मूल्य दिलाने के लिए भावंतर योजना शुरू की है, जो कि ई-उपार्जन पोर्टल पर मौजूद है.
रबी के सीजन में समर्थन मूल्य पर गेहूं की खरीदी की गई थी, भावांतर योजना का भुगतान अभी तक नहीं मिला, कृषक बालकृष्ण साहू का कहना है कि अगर भावांतर योजना से जुड़ा भुगतान 3 माह से अधिक लंबित रहता है, तो भुगतान के साथ इनाम की भी पात्रता है, इस इनाम की राशि संबंधित एजेंसी से कर्मचारी के वेतन से काटा जा सकता है और संबंधितों के खिलाफ दंडात्मक कार्रवाई भी की जा सकती है.