छिंदवाड़ा। जिले में नरवाई जलाने पर प्रतिबंध के बाद भी अफसर इसे रोकने में नाकाम रहते हैं. कलेक्टर शीतला पटले ने कठोर कार्रवाई की चेतावनी देते हुए नरवाई जलाने पर प्रतिबंध लगाया है. आदेशों का पालन नहीं करने वाले किसानों पर आपराधिक मामला दर्ज करने की बात कही गई है. इसके बावजूद जिले में चारों तरफ खाली खेतों में नरवाई जल रही है. इन्हीं जलते खेतों की आग से जंगल और रहवासी इलाके भी प्रभावित हो रहे हैं. कलेक्टर सहित कृषि विभाग के अफसरों ने किसानों से अपील की है कि वे नरवाई न जलाएं, नहीं तो उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी.
नरवाई जलाने के नुकसान:छिंदवाड़ा कृषि विज्ञान केंद्र के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. विजय कुमार पराड़कर ने बताया है कि नरवाई जलाने से जमीन को भारी मात्रा में नुकसान होता है. उन्होंने बताया है कि नरवाई जलाने के साइड इफेक्ट मिट्टी में मौजूद सूक्ष्म जीव नष्ट हो जाते हैं, जैव विविधता नष्ट हो जाती है. धुंआ से पर्यावरण प्रदूषित हो जाता है, उस इलाके में ऑक्सीजन की मात्रा कम हो जाती है, कार्बन मोनो ऑक्साइड, कार्बन डाई ऑक्साइड की मात्रा बढ़ जाती है. जमीन की उर्वरक क्षमता और उपज भी कम हो जाती है.
नष्ट करने के विकल्प:कृषि वैज्ञानिक ने बताया कि यदि फसल अवशेषों को जलाने की बजाए वापस मिट्टी में मिला दिया जाए तो मिट्टी में कार्बनिक प्रदार्थ व पोषक तत्वों में वृद्धि होगी. कटाई के दौरान किसान कंबाइन हार्वेस्टर के साथ स्ट्री मैनेजमेंट सिस्टम अथवा स्ट्रॉ रीपर का उपयोग अनिवार्य रूप से करें. यह सिस्टम नरवाई को बारीक कर देता है, जिससे कटाई के बाद रोटावेटर अथवा मल्चर से आसानी से मिट्टी में मिलाया जा सकता है.