छींद के मुकुट से क्यों किया गया अमित शाह का स्वागत? जानें आदिवासियों की परंपरा के मायने
कमल नाथ के गढ़ यानी छिंदवाड़ा का किला भेदने पहुंचे भाजना नेता और क्रेंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह का स्वागत छींद के मुकुट से किया गया. क्या आप जानते हैं आदिवासियों की इस परंपरा के मायने, पढ़िए पूरी खबर-
छींद के मुकुट की मान्यता
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Published : Mar 26, 2023, 11:43 AM IST
छिंदवाड़ा।जिले में आदिवासी वोट बैंक के सहारे कमलनाथ के गढ़ को छीनने का प्रयास कर रही भाजपा के चाणक्य कहे जाने वाले केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह का स्वागत भी आदिवासी परंपराओं से किया गया. मंच पर पहुंचने के बाद अमित शाह को आदिवासी संस्कृति की छींद के पत्तों से बना मुकुट पहनाया गया, आखिर छींद के पत्तों से बने मुकुट के क्या है मायने, जानिए-
छींद के मुकुट से क्रेंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह का स्वागत
आदिवासी सम्मान का प्रतीक है छींद का मुकुट:भले ही आजकल की आधुनिकता के चलते शादी विवाह में दूल्हों के सिर पर पगड़ी और साफे में नजर आते हों, लेकिन आदिवासी अंचलों में पहले छींद के पत्तों से बनाए गए आकर्षक मुकुट ही पहनाए जाते थे. जिस तरीके से किसी के सिर में पगड़ी का महत्व होता है, वैसे ही आदिवासी परंपराओं में छींद से बने मुकुट का महत्व होता है. आदिवासी छींद से बने मुकुट को सम्मान के रूप में देखते हैं, अगर किसी के सिर में ये मुकुट सजा हो तो उसे सम्मान और वरिष्ठता से जोड़ा जाता है. इसी के तहत जब अमित शाह छिंदवाड़ा के आंचल कुंड में पहुंचे तो आदिवासियों ने उनका स्वागत छींद के मुकुट से किया.
छिंदवाड़ा की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि:माना जाता है कि एक समय पर छिंदवाड़ा, छींद के पेड़ से भरा था और इसलिए यहां का नाम 'छिंदवाड़ा' रखा गया. वाड़ा का मतलब है जगह, छींद के पेड़ों से छिंदवाड़ा को एक विशेष पहचान मिली है. छींद को जंगली खजूर, शुगर डेट पाम, टोडी डेट पाम, सिल्वर डेट पाम, इंडियन डेट पाम आदि नामों से भी जाना जाता है. वानस्पतिक भाषा में इसका नाम फोनिक्स सिल्वेस्ट्रिस है, जो एरेकेसी परिवार का सदस्य है. यह पेड़ उपजाऊ से लेकर बंजर मैदानी भूमि में, सामान्य से लेकर अत्यंत सूखे मैदानी भागों में सभी तरह की मिट्टी में आसानी से उग जाता है.
छींद के मुकुट से सीएम का स्वागत
चीनी से होती हैं छींद की चीनी:कुछ स्थानों पर छींद के तनों में छेद करके इससे स्वादिष्ट पेय प्राप्त किया जाता है, जो काफी कुछ ताड़ी से मिलता-जुलता होता है, जिसे छींदी कहते हैं. अन्य स्थानों पर इस मीठे रस से गुड़ भी तैयार किया जाता है, जिसे पाम जगरी के नाम से जाना जाता है, जो सामान्य गन्ने से प्राप्त शक्कर से कहीं अधिक सेहतमंद होता है. ग्रामीण क्षेत्रों में जब कोई छींद का पेड़ आंधी और तूफान से टूट कर गिर जाता है, तब ग्रामीण चरवाहे इसके शीर्ष भाग को काटकर तने का कोमल हिस्सा निकालते हैं, जो देखने में तथा स्वाद में पेठे से मिलता-जुलता होता है, इसे खाने का एक अलग ही मजा होता है.