छिंदवाड़ा। देश में ऐसा कोई कोना नहीं है जो वीर सपूतों के बलिदान की कहानियों से अछूता हो. देश में ना जाने कितने युवाओं ने देश के लिए अपने प्राणों को न्यौछावर किया है. ऐसे ही एक युवा मध्यप्रदेश के छिंदवाड़ा से हैं. अमित ठेंगे जिन्होंने विदेश में नौकरी छोड़ देश की सेवा का रास्ता अपनाया और देश के लिए अपना बलिदान दे दिया.
देश की रक्षा में अमित ने अपने प्राण न्यौछावर
एक छोटे से परिवार में पैदा हुए अमित ठेंगे का जन्म 19 अप्रैल 1982 में हुआ था. उनके पिता मधुकर राव ठेंगे शिक्षक थे. इनके घर में 5 सदस्य हैं. माता- पिता, दो भाई और एक बहन हैं. मधुकर राव ठेंगे ने बताया कि अमित बचपन से ही देशभक्ति की भावना से काफी प्रभावित था. हमेशा देश भक्ति करने की बातें करता था. इंजीनियरिंग की पढ़ाई करने के दौरान सेना में भर्ती की वैकेंसी भरी थी.
जिसमें दूसरी बार में उसका सिलेक्शन हुआ. आर्मी में देहरादून में सैनिक की ट्रेनिंग के लिए 1 साल के लिए चला गया. ट्रेनिंग पूरी होने के बाद सेना में अमित की पोस्टिंग नॉर्थ रेंज में हुई. जहां जम्मू कश्मीर में 4 साल तक नौकरी करने के बाद 37RR पुंछ के मेंढर में पोस्टिंग हुई. बॉर्डर पर आतंकियों के सीमा के अंदर घुसने की सूचना मिलने के बाद सर्च ऑपरेशन शुरू हुआ. जहां आतंकवादियों की दो गोलियां अमित को लगी. उसके बाद भी साहस से लड़ते हुए दो आतंकवादियों को ढेर कर दिया. लिहाजा देश के लिए लड़ते हुए 13 जुलाई 2010 में अमित ने अपनी जान न्यौछावर कर दी.
शहीद अमित ठेंगे की मां ने बताया कि शहीद अमित ठेंगे उनका पुत्र है. उन्हें इस बात का गर्व है. साथ ही जब भी वह उनको याद करती हैं तो उनके दिल दिमाग में हमेशा शहीद बेटा ही बसा रहता है. बता दें छिंदवाड़ा में अमित ठेंगे की याद में एक प्रवेशद्वार बनाया गया है. मानसरोवर के सामने मुख्य चौक पर शहीद अमित ठेंगे की प्रतिमा लगाई गई.