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छिंदवाड़ा: सोयाबीन के बाद अब कपास की फसल पर 'लाल्या रोग' का कहर, किसानों की बढ़ीं मुश्किलें

जिले के पांढुर्णा में ज्यादा बारिश होने से फसलों में 'लाल्या रोग' का कहर देखने को मिल रहा है, जिससे किसानों के माथे पर चिंता की लकीरें दिखाई दे रहीं हैं. इस साल मक्का, सोयाबीन के साथ-साथ कपास फसल पर दोहरी मार दिखाई दे रही है.

Increased difficulties for farmers
किसानों की बढ़ी मुश्किलें

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Published : Sep 30, 2020, 3:51 PM IST

छिंदवाड़ा।जिले के पांढुर्णा में ज्यादा बारिश होने से फसलें बर्बाद होने से किसानों के चेहरे पर चिंता की लकीरें खींच दी है. इस साल मक्का, सोयाबीन के साथ-साथ कपास की फसल पर दोहरी मार दिखाई दे रही है. आलम यह है कि अब बारिश के बाद कपास की फसल पर लाल्या रोग ने भी कहर बरसा दिया है जिसके चलते हजारों हेक्टेअर में लगी कपास की फसल खराब हो रही है.

इस साल किसानों ने मक्का और कपास की फसल को नजरअंदाज किया है और सोयाबीन पर सबसे ज्यादा भरोसा जताया था, लेकिन अधिक बारिश से दोनों फसलें बर्बाद हो गई हैं. हालांकि कृषि विभाग के अधिकारियों के मुताबिक जिस जमीन में पानी अधिक जमा है और खाद की कमी बनी हुई है उस खेत में लगी कपास की फसल पर सबसे ज्यादा लाल्या रोग फैला हुआ है.

पांढुर्णा कृषि विभाग से प्राप्त जानकारी के मुताबिक पिछले साल की तुलना में इस साल 3872 हेक्टेअर मक्का और कपास का रकबा कम हुआ है. जिनमें मक्का में 1527 हेक्टेअर और कपास में 2345 हेक्टेअर की कमी हुई है. इसीप्रकार सोयाबीन की पिछले साल की तुलना में रिकॉर्ड तोड़ बुवाई हुई है. जहां पांढुर्णा क्षेत्र में पिछले वर्ष सोयाबीन 990 हेक्टेअर में बुवाई हुई थी जो इस साल बढ़कर 4600 हेक्टेयर में हो गई है, वहीं मूंगफली में भी पिछले वर्ष की तुलना में इस वर्ष 3610 हेक्टेअर अधिक बुवाई हुई है.

साल 2019 और 2020 में फसलों की बुवाई की स्थिति

फसल का नाम 2019 2020
कपास 17895 हेक्टेयर 15550 हेक्टेयर
मक्का 10394 हेक्टेयर 8867 हेक्टेयर
मूंगफली 5733 हेक्टेयर 6800 हेक्टेयर
सोयाबीन 990 हेक्टेयर 4600 हेक्टेयर
तुअर 5157 हेक्टेयर 4618 हेक्टेयर
ज्वार 4684 हेक्टेयर 4644 हेक्टेयर

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