छिंदवाड़ा। सड़क परिवहन को ठीक करने के लिए छिंदवाड़ा में सड़कों का जाल बिछाया गया, नेशनल हाइवे का निर्माण किया गया, लेकिन उनके रख-रखाव और लापरवाही के चलते हर दिन सड़क दुर्घटनाएं हो रही है. लोग मौत के मुंह में जा रहे हैं. हाईवे के किनारे बने ढाबों और दुकानों में बेतरतीब खड़े वाहन दुर्घटना के लिए सबसे ज्यादा जिम्मेदार हैं. ईटीवी भारत की खास रिपोर्ट में देखिए किस तरह आए दिन लोग हादसों को शिकार हो रहे हैं.
हाईवे की दुकानों में सड़क किनारे खड़े वाहनों के चलते होती है दुर्घटनाएं
अधिकतर देखा जाता है कि हाईवे के किनारे ढाबे, पेट्रोल पंप या दूसरी दुकानें होती हैं. वाहन चालक इन्हीं दुकानों के सामने सड़क के किनारे वाहन पार्क करते हैं. जिसकी वजह से दूसरे वाहनों को दिक्कत होती है और ज्यादातर रात के अंधेरे में देख नहीं पाते. जिसके कारण सबसे ज्यादा सड़क हादसे होते हैं और इन्हीं में मौतें भी होती हैं.
3 सालों में लगातार बढ़े सड़क हादसों के मामले
छिंदवाड़ा जिले में पिछले 3 सालों के सड़क हादसों की बात की जाए तो वह आंकड़ा लगातार बढ़ा है. वहीं इस साल कोरोना को रोकने के लिए लगाए गए लॉकडाउन के कारण सड़क हादसों में कमी आई, लेकिन लॉकडाउन खुलने के बाद जैसे ही अनलॉक लागू हुआ वैसे ही सड़क हादसों में तेजी आ गई. इस साल अप्रैल से जून के बीच 56 मौतें हुई, जबकि पिछले साल इसी अवधि में 120 मौतें तक आंकड़ा पहुंच गया था.
सबसे ज्यादा बाइक सवार होते हैं दुर्घटना का शिकार
हाईवे के किनारे बेतरतीब खड़े वाहनों की वजह से सबसे ज्यादा बाइक सवार दुर्घटना के शिकार होते हैं. सामने खड़े सड़क के किनारे वाहन बाइक सवार को दूर से दिख नहीं पाते हैं, जिसकी वजह से वह सीधे आकर खड़े वाहनों में टकरा जाते हैं.
एनएचएआई और पुलिस की लापरवाही भी एक बड़ा कारण
नेशनल हाईवे में अधिकतर स्थानों में एनएचएआई के पेट्रोलिंग वाहन और एंबुलेंस के साथ ही पुलिस चौकी भी होती है. सड़कों में दुकान के किनारे भारी-भरकम वाहन खड़े रहते हैं, लेकिन ड्यूटी पर तैनात कर्मचारी इस ओर ध्यान नहीं देते, जिनकी लापरवाही के चलते दुर्घटनाएं होती है.
पिछले 2 सालों में जिले में सड़क हादसों की स्थिति
साल दुर्घटनाएं मृतक घायल
2018 1505 381 1421
2019 1310 354 1409