छतरपुर। जिले के नौगांव में रहने वाले आसिफ खान बिना प्रचार- प्रसार के रोजाना भूखों को खाना खिला रहे. वहीं जो मजदूर सैकड़ों किलोमीटर से पैदल चलकर अपने गांव की ओर जा रहे थे, उन्हें अपने वाहनों से निजी खर्च पर घरों तक छुड़वाया. जानकारी के अनुसार कोरोना महामारी के दौरान नगर में रहनेवाला आसिफ खान एक ऐसे समाजसेवी बन गये, जिनका समाज सेवा से कोसों दूर तक कोई वास्ता नहीं है. बताया जाता है आसिफ खान पोल्ट्री का काम करते हैं और जब से देश में कोरोना महामारी के चलते लॉकडाउन की स्थिति बनी है, तब से वो अपने व्यापर में लाखों रुपये का घाटा उठा चुके हैं.
लॉकडाउन में बिना किसी प्रचार- प्रसार के जरूरतमंदों के घर खाना पहुंचा रहा युवक - कोरोना
छतरपुर के नौगांव में रहने वाले आसिफ खान लॉकडाउन में जरूरतमंदों को उनके घर तक खाना पहुंचा रहे हैं.
![लॉकडाउन में बिना किसी प्रचार- प्रसार के जरूरतमंदों के घर खाना पहुंचा रहा युवक without any publicity social workers are feeding the hungry In Chhatarpur](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/768-512-6930577-508-6930577-1587779704198.jpg)
लॉकडाउन के बाद से ही वो अपनी निजी कार में खाने व राशन के पैकिट रखकर गरीब मजदूरों को बांटने का काम कर रहे हैं. वही जो मजदूर के महानगरों से सैकड़ों किलोमीटर पैदल चलकर अपने गांव की ओर जाते दिखते हैं, एसडीएम- तहसीलदार से परमीशन लेकर अपने निजी खर्च पर वाहनों से उन्हें, उनके घर तक छुड़वाते हैं.
आसिफ खान ने बताया की, लॉकडाउन के दौरान जब उन्होंने गरीब मजदूरों के काम बंद होने के बाद उनकी पारिवारिक स्थिति को देखकर एक चाट का ठेला लगाने वाले परिवार को खाना बनाने के लिए ठेका दिया. जिससे उस परिवार को दो वक्त के खाने के साथ- साथ रोजगार मिला, यहां पर रोजाना तीन सौ लोगों का खाना बनता है, जिसे वह खामोशी से जाकर जरुरतमंदों तक पहुंचाते हैं, इसके अलावा रोजाना एक दर्जन राशन की किटे भी जरुरतमंदों को बांटते हैं.