छतरपुर। कोरोना के खतरे के बीच शादियों की रौनक फीकी पड़ गई है. संक्रमण के खतरे के बीच बेहद सादे तरीके से हो रहीं शादियों ने लाखों लोगों की रोजी- रोटी छीन ली है. जिले में इन दिनों सामान्य रूप से हो रही शादियों के चलते बैंड बाजा वालों की कमाई भी बंद हो गई हैं. जिला प्रशासन शादियों की अनुमति तो दे रहा है, लेकिन शादियां अब पहले जैसी नहीं हो पा रही हैं, लिहाजा अब लोग ना तो अपनी शादी में ढोल नगाड़े बजवा रहे हैं और ना ही बैंड पार्टियों को ही बुलाया जा रहा है.
लॉकडाउन में शादियों की रौनक हुई फीकी, आर्थिक संकट से जूझ रहे बैंड बाजा संचालक
कोरोना संक्रमण के खतरे की वजह से शादियों की रौनक गायब हो गई है. इतना ही नहीं, शादी- विवाह से जुड़े व्यवसाय करने वाले तमाम लोगों को भी आर्थिक संकट का सामना करना पड़ रहा है. के काम में लगे तमाम लोग आर्थिक संकट से जूझ रहे हैं. बैंड बाजा वालों को भी आर्थिक संकट के दौर से गुजरना पड़ रहा है.
बता दे कि, छतरपुर जिले के बकायन खिड़की में रहने वाले करीब 300 लोग बैंड बाजे के व्यवसाय से सीधे तौर पर जुड़े हैं. जो अब शादी समारोह कैंसिल होने से प्रभावित हो रहे हैं. आर्थिक संकट का आलम ये है कि, एक वक्त की रोटी भी मुश्किल से नसीब हो पा रही है. इन लोगों का कहना है कि, अगर लगातार हालात ऐसे रहे, तो व्यवसाय पूरी तरह से चौपट हो जाएगा.
बैंड पार्टी चलाने वाले जितेंद्र बताते हैं कि, मार्च में लॉकडाउन लग गया था, तब से लेकर अब तक उनका व्यवसाय पूरी तरह से बंद है. जो लोग बैंड पार्टी में ढोल बजाने का काम करते थे, अब उनके पास कोई काम नहीं है, लिहाजा लोग खाली वक्त में सिर्फ प्रैक्टिस करते रहते हैं. वहीं लक्ष्मी बैंड पार्टी चलाने वाले पंकज पिपरिया बताते हैं कि, लॉकडाउन की वजह से शादियां नहीं हो रहीं थी, बैंड पार्टी में काम करने वाले लोग खाली बैठे हैं.
लिहाजा ढोल पार्टी एवं बैंड व्यवसाय से जुड़े लोगों की जिला प्रशासन से उम्मीद है कि, जिस तरह से शादियां करने की अनुमति दे दी गई है, ऐसे में उन्हें भी शादियों में जाकर ढोल बजाने की अनुमति दे दी जाए, ताकि जो परिवार आर्थिक संकट से जूझ रहे हैं, उन्हें कुछ राहत मिल सके.