छतरपुर।कोरोना वायरस के चलते लोग अपने अपने घर वापस लौटने लगे हैं, विभिन्न जगहों से लौटा मजदूर अब रोजमर्रा की जिंदगी जीने के लिए परेशान होने लगा है. मसलन ना तो मजदूर के पास खाने के लिए अनाज है और ना ही सरकारी तंत्र.
छतरपुर जिले के कर्री गांव के मानिकपुरा पुरवा में 7 दिन पहले दो आदिवासी परिवार लौटे थे, लेकिन 7 दिन बीत जाने के बाद भी गांव की पंचायत उन्हें एक वक्त के लिए अनाज नहीं दे पाई. खाने के नाम पर 7 दिन पहले सरपंच और सचिव के ने दो दो समोसे भेजे थे. दो आदिवासी परिवारों में कुल 8 लोग हैं और बच्चे हैं, 7 दिन बीत जाने के बाद भी सरपंच और सचिव ने अभी तक किसी भी प्रकार का खाद्यान्न उपलब्ध नहीं कराया.
वहीं अब आदिवासी परिवार गांव के लोगों की कृपा से अपने परिवार का पेट भर रहे हैं, जिला प्रशासन भले ही इस बात को कह रहा हो कि जिले में आने वाले तमाम मजदूरों को भोजन उपलब्ध कराया जा रहा है. लेकिन हकीकत इसके ठीक विपरीत है, ग्रामीण अंचल क्षेत्रों से इस प्रकार की तस्वीर निकलकर सामने आने लगी हैं, जो जिला प्रशासन के दावों की पोल खोलती हैं.
आदिवासी परिवार गांव के लोगों की कृपा से अपने परिवार का पेट भर रहे हैं, जिला प्रशासन भले ही इस बात को कह रहा हो कि जिले में आने वाले तमाम मजदूरों को भोजन उपलब्ध कराया जा रहा है. लेकिन हकीकत इसके ठीक विपरीत है, ग्रामीण अंचल क्षेत्रों से इस प्रकार की तस्वीर निकलकर सामने आने लगी हैं जो जिला प्रशासन के दावों की पोल खोलती हैं.