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हाथ रिक्शे से तय किया 800 किलोमीटर का सफर, मंजिला अभी दूर हैं... - Traveling 800 km by hand rickshaw

उत्तप्रदेश का रहने वाला एक परिवार पंजाब से अपने घर जाने के लिए हाथ रिक्शे के सहारे निकला है. मजदूर ने बताया कि वह सात दिन में 800 किलोमीटर का रास्ता तय कर चुका है, वहीं अभी उसकी मंजिल 200 किलोमीटर दूर है.

Traveling 800 km by hand rickshaw in chhatarpur
हाथ रिक्शे से तय किया 800 किलोमीटर का सफर

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Published : May 17, 2020, 11:48 PM IST

छतरपुर। देशभर में लॉकडाउन के चलते गरीब मजदूर परिवारों का पलायन लगातार जारी है. इसी के चलते जिले का एक परिवार 800 किलोमीटर की दूरी तय कर पंजाब से हरपालपुर पहुंचा. मजदूर परिवार का कहना है कि इस दौरान उन्होंने कई समस्याओं का सामना करना पड़ा, उसे बावजूद हार न मानते हुए अपनी मंजिल की ओर आगे बढ़ते रहे और हरपालपुर पहुंच गए. हालांकि अभी मंजिल कोसों दूर है. बता दें कि यह मजदूर उत्तप्रदेश के बांदा जाने के लिए पंजाब से निकले हैं.

मंजिला अभी दूर हैं...

लॉकडाउन का दर्द क्या है, इसका एहसास शायद प्रवासी मजदूरों से ज्यादा किसी और को नहीं होगा. भूख और मजबूरी जहां गरीबों को अपने घर से दूर ले गयी, वहीं अब यही भूंख और मजबूरी उन्हें घर वापस ला रही है. इसी सफर में जहां प्रवासी मजदूरों को अनेकों कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है, वहीं कई मजदूर परिवार लगातार दुर्घटनाओं का शिकार होकर अपनी जान भी गवां चुके हैं. छतरपुर के हरपालपुर से ऐसी ही एक तस्वीर सामने आई है, जहां पंजाब से 800 किलोमीटर से अधिक का सफर हाथ रिक्शे से तय कर अपने परिवार के साथ पहुंचा. अभी इन्हें उत्तरप्रदेश के बांदा जिले के सिमरिया गांव तक का सफर तय करना बाकी है. चिलचिलाती धूप में सामान ढोने वाले रिक्शे में अपने तीन मासूम बच्चों को बिठाए लखनलाल को इस सफर में न जाने कितनी मुसीबतों का सामना करना पड़ा और एक सप्ताह में अब वो हरपालपुर पहुंचा है.

लखनलाल ने बताया वो पंजाब में सीसा काटने का काम करता था. लॉकडाउन के बाद जहां उनकी मजदूरी बन्द हुई. तो वहीं मकान मालिक ने किराया और बिजली का बिल लेकर घर से निकाल दिया. जिसके बाद घर जाने के अलावा उनके पास कोई चारा नहीं था. वहीं घर जाने के लिए जैसे-तैसे एक सामान ढोने वाले रिक्शे का इंतजाम किया और अपने परिवार को लेकर उत्तरप्रदेश के लिए निकल पड़ा. लखनलाल का कहना है कि उसने सरकार द्वारा जारी किए गए सभी नंबरों पर कॉल किया, लेकिन कोई सहायता नहीं मिली. वहीं रास्ते में गुड़गांव पुलिस ने भी उसको काफी परेशान किया.

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