छतरपुर।हिम्मत, हौसला और आत्मनिर्भर बनने का आत्मविश्वास. इन सबके बदौलत ही इन दिनों छतरपुर के दिव्यांग किसान आत्मनिर्भरता की मिसाल पेश कर रहे हैं. कोरोना काल में पटरी से उतरी देश की अर्थव्यवस्था को सुधारने और देशभर में लोगों को स्वावलंबी बनाने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आत्मनिर्भर भारत योजना शुरू की है. जिसके तहत दिव्यांग किशोरी लाल अहिरवार ने भी किसानी शुरू की.
दिव्यांग किसान ने पेश की आत्मनिर्भरता की मिसाल लॉकडाउन के दौरान पंजाब से आए हैं वापस
नेत्रहीन किशोरी लाल अहिरवार लॉकडाउन से पहले तक पंजाब के एक गुरूद्वारा में अरदास-कीर्तन करते थे. लेकिन लॉकडाउन के कारण वे वापस अपने गांव आ गए, जहां गरीबी के चलते वे काफी परेशान रहने लगे.
रेडियो-टीवी में सुना PM का भाषण
देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी टीवी-रेडियो और कई माध्यमों से लगातार लोगों को आत्मनिर्भर बनने के लिए प्रेरित कर रहे हैं. दिव्यांग किशोरी लाल ने भी उनका भाषण टीवी-रेडियो में सुना जिसके बाद उन्होंने ने भी आत्मनिर्भर बनने की ठानी, लेकिन गरीबी के कारण वे कुछ कर नहीं सके.
NGO सदस्य ने की मदद
मुकेश पटेल जो कि खुद एक दिव्यांग है, बावजूद इसके वे दिव्यांगों को आत्मनिर्भर बनाने के लिए NGO के जरिए सबकी मदद करते हैं. उन्होंने किशोरीलाल अहिरवार को आत्मनिर्भर बनने के लिए प्रेरित किया और उसे इस बात की सलाह दी कि वे अपने घर में ही सब्जी उगाने का काम कर सकते हैं.
किशोरी लाल अहिरवार बताते हैं कि उनके पास सब्जी के बीज खरीदने के लिए न तो पैसे थे और न ही इससे पहले उसने कोई खेती-बाड़ी का काम किया था. ऐसे में सब्जी की फसल उगाना और उससे आत्मनिर्भर बनना उनके और उनकी पत्नी के लिए किसी चुनौती से कम नहीं थी. मुकेश पटेल ने किशोरी अहिरवार को सब्जियों के बीज उपलब्ध कराएं और खेती-बाड़ी के बारे में सारी जानकारियां दी, जिसके बाद किशोरी अहिरवार और उनकी पत्नी सविता अहिरवार ने अपने आत्मबल के चलते अपने घर के अंदर मौजूद छोटी सी जमीन पर सब्जियों की फसल उगाई.
सपना साकार कर दिखाया
किशोरी अहिरवार का कहना है कि अब वे पूरी तरह से आत्मनिर्भर हैं. उनके घर के आंगन में तरह-तरह की सब्जियां है, जिससे न सिर्फ उनके परिवार का भरण-पोषण हो रहा है बल्कि आने वाले समय में उन्हें कुछ लाभ भी मिलेगा. किशोरी अहिरवार की मानें तो उसने देश के प्रधानमंत्री को कई बार यह कहते हुए सुना है की आत्मनिर्भर बनना चाहिए और आखिरकार उन्होंने कर दिखाया.
मुकेश पटेल कहते हैं कि जो जज्बा किशोरी अहिरवार और उनकी पत्नी के अंदर आत्मनिर्भर बनने का है, वह किसी के अंदर अभी तक नहीं दिखाई दिया. कुछ ही महीनों में खेती-किसानी का काम न सिर्फ उन्होंने सीख लिया बल्कि अब वह पूरी तरह से आत्मनिर्भर हो गए हैं. उन्होंने इस बात को भी साबित कर दिया है कि दिव्यांग होना कोई अभिशाप नहीं है और अगर आप दिव्यांग हैं तो अपने पैरों पर खड़े होकर अपने सपने पूरे कर सकते हैं.
आत्मनिर्भर किशोरी लाल की कहानी हर उस शख्स के लिए ऐसी प्रेरणा की कहानी है जो ये सोचता है कि शरीर के एक अंग के अभाव के चलते वह कोई काम नहीं कर सकता है. कई लोग अपने हाथों की लकीरों को कोसते नजर आते हैं, लेकिन किशोरी लाल तो अपने हाथों की लकीरें ही नहीं देख सकते, फिर भी उन्होंने साबित कर दिया कि मन में विश्वास हो तो कोई भी काम मुश्किल नहीं होता.