छतरपुर। जिले के शहर तहसील में पदस्थ एसडीएम प्रियांशी भंवर इन दिनों चर्चा में हैं, चर्चा उनके काम, तेजतर्रार रवैया को लेकर है. प्रियांशी 27 साल की एक ऐसी युवा एसडीएम हैं, जो कोरोना काल में 18 से लेकर 20 घंटे काम कर रही हैं. हाल ही में इन्हीं के प्रयास की वजह से कोटा में फंसे छात्रों को सुरक्षित उनके घर तक पहुंचाया जा सका.
बच्चों को सुरक्षित घर पहुंचाने के लिए रात भर जागी एसडीएम प्रियांशी भंवर प्रियांशी एक ऐसी कोरोना वॉरियर बनकर उभरी हैं. जिनकी तारीफ पूरे जिले में हो रही है. 18 से 20 घंटे काम करते हुए पूरे शहर का एडमिनिस्ट्रेशन संभाले हुए हैं. अपनी कुशल कार्यशैली एवं सख्त रवैया के चलते इस महामारी काल में भी वह दिन रात मेहनत करते हुए लोगों को अलर्ट कर रही हैं. हालांकि उनकी इस रवैया के वजह से कुछ लोग नाराज भी हो जाते हैं. इस पर प्रियांशी भंवर का कहना है कि, भले ही लोग उनसे नाराज हो जाएं. लेकिन उनकी नाराजगी से ज्यादा लोगों की जान की कीमती है. कोटा में फंसे छात्रों को छतरपुर तक सकुशल पहुंचाने के लिए प्रियांशी भवर में एक व्हाट्सएप ग्रुप बनाया और इन तमाम छात्रों को इस ग्रुप में ऐड कराया. जब यह छात्र कोटा से छतरपुर आ रहे थे, तभी रास्ते में उनकी बस खराब हो गई. इस दरमियान प्रियांशी भवन में तत्परता दिखाते हुए तुरंत छात्रों के लिए दूसरी बस का बंदोबस्त कराया. मिशन कोटा टू छतरपुर को पूरा करने के लिए प्रियांशी भवर ने जो ग्रुप को बनाया था, उस ग्रुप के हर सदस्य के ऊपर प्रियांशी लगातार नजर रख रहीं थीं. जिसके लिए पूरी रात जागना पड़ा, सुबह 8:00 बजे जब उन्हें इस बात की जानकारी लगी कि बस छतरपुर आ गई है और सारे छात्र सकुशल हैं, तब जाकर वो अपने घर गईं.
हरपल छात्र और एसडीएम के बीच हो रही थी बात
प्रियांशी भंवर ने बताया कि, जिस समय सभी छात्र कोटा से छतरपुर के लिए चले थे, तभी ग्रुप बना लिया गया था. इस ग्रुप में छात्रों से लगातार बात भी की जा रही थी. ताकि उन्हें इस बात का कोई एहसास ना हो कि, वो किसी मुश्किल में हैं या किसी विपरीत परिस्थितियों में अपने घर पहुंच रहे हैं. इसलिए प्रियांशी लगातार बस में बैठे तमाम छात्र एवं छात्राओं से किसी दोस्त की तरह बात करती रहीं. कोटा से लौटे सभी छात्रों ने उन्हे धन्यवाद दिया.
माता पिता को होती है चिंता
प्रियांशी भंवर का कहना है कि, महामारी काल में ड्यूटी पर जाते समय मेरे माता- पिता को चिंता भी होती है. लेकिन इस समय खुद से ज्यादा लोगों को मेरी जरूरत है. माता-पिता की चिंता भी जायज है . लेकिन मैं पूरी सुरक्षा के साथ अपना ख्याल रखती हूं और बिना रुके अपनी ड्यूटी भी करती हूं.