छतरपुर।एक तरफ देश में विकास का दावा किया जा रहा है. सुशासन के वादे किए जा रहे हैं, वहीं दूसरी तरफ गरीब, कमजोर और बुजुर्ग अपने अधिकार से वंचित रह जाते हैं. कभी जानकारी के आभाव में, तो कभी अधिकारियों और कर्मचारियों की लापरवाही के कारण. ऐसा ही कुछ हुआ छतरपुर के राजनगर तहसील अंतर्गत आने वाले ग्राम पंचायत गडा में. जहां एक भ्रष्ट पटवारी ने बुजुर्ग को मृत घोषित कर दिया. फिर उसकी जमीन भी किसी और के नाम में नाम कर दी.
छतरपुर में 'कागज' की कहानी ये करतूत गडा गांव के हल्का नंबर-43 के पटवारी दयाराम अहिरवार ने किया है. बुजुर्ग की जमीन संतु आदिवासी और अन्य लोगों के नाम की गई है. जिसके बाद से ही बुजुर्ग आदिवासी खुद को जिंदा सिद्ध करने के लिए सरकारी दफ्तरों की ठोकरें खा रहे है.
कई चक्ककर काटने के बाद आखिकरा बुजुर्ग आवेदन लेकर राजनगर एसडीएम के पास पहुंचा. तब जाकर मामला आगे बढ़ा. एसडीएम ने मामले में तत्परता दिखाते हुए तीन दिन के अंदर दोषियों पर कार्रवाई करने का आश्वासन दिया है. तहसीलदार को तीन दिवस के अंदर प्रतिवेदन प्रस्तुत करने और दोषियों पर एफआईआर करवाने के निर्देश भी दिए.
80 साल के बुजुर्ग आदिवासी ने अपनी पीड़ा व्यक्त की. उसने कहा कि 'साहब अभी तो मैं हम जिंदा हूं. कागजों में मुझे मृत घोषित कर दिया. फिर वही सवाल कि आखिर क्या कोई कागज जिंदा इंसान से बढ़ा हो सकता है.
सरकार के द्वारा आदिवासियों के लिए तमाम तरह की योजनाएं चलाई जा रहीं हैं. लेकिन राजस्व अधिकारी किस तरह से योजनाओं को पलीता लगा रहे हैं, इस 'कागज' की कहानी से साफ हो रहा है.